नागरिकता संशोधन कानून के साथ ही आपको ये जानना भी बेहद जरूरी है कि इस एक्ट का मतलब ये बिलकुल भी नहीं है कि अब किसी भी देश या जाति—धर्म के लोगों को नागरिकता मिलना बंद हो जाएगी।
आपको बता दें कि इस एक्ट का मतलब ये भी नहीं है कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के मुस्लिम कभी भारत की नागरिकता नहीं ले सकेंगे? क्योंकि सिटीजनशिप एक्ट के सेक्शन 6 में किसी भी विदेशी व्यक्ति के लिए नैचरलाइजेशन वह प्रक्रिया है जिसके माध्यम से कानूनी औपचारिकता पूरा करने वाले विदेशी नागरिकों को अमेरिका की नागरिकता प्रदान की जाती है। नागरिकता मिलने के बाद उन लोगों को अमेरिका में वोट देने का अधिकार प्राप्त हो जाता है।
इसके जरिए भारतीय नागरिकता हासिल करने का प्रावधान है। इसके अलावा एक्ट के सेक्शन 5 के तहत भी रजिस्ट्रेशन कराया जा सकता है। इन दोनों ही प्रावधानों में किसी भी प्रकार का कोई बदलाव नहीं किया गया है। बीते कुछ सालों में भी इन तीनों देशों से आने वाले सैकड़ों मुस्लिमों को इन्हीं प्रावधानों के तहत भारत की नागरिकता दी गई है।
भविष्य में भी यदि योग्य पाए जाते हैं तो ऐसे लोगों को नागरिकता दी जाएगी। इसके लिए उनका धर्म या फिर संख्या मायने नहीं रखती। 2014 के आंकड़ों के मुताबिक भारत-बांग्लादेश सीमा के निर्धारण के बाद से 14,864 बांग्लादेशी लोगों को भारतीय नागरिकता दी गई। इनमें हजारों लोग मुस्लिम समुदाय से हैं।