विजयनगर एक ऐसा महान साम्राज्य था, जिसकी स्थापना दक्षिण भारत के शक्तिशाली शासक कृष्ण देवराय के पूर्वजों द्वारा की गई। इसके बाद के विस्तार में सर्वाधिक योगदान इन्हीं का माना जाता है, जिन्होंने इसे इतना भव्य बनाने का काम किया। सम्राट कृष्ण देवराय की ख्याति की बात करें तो जिस प्रकार उत्तर में महाराणा प्रताप, पृथ्वीराज चौहान, शिवाजी आदि ने जीवन पर्यन्त अपनी मातृभूमि के सम्मान की लड़ाई लड़ी, वैसे ही इन्होंने अपने करीब 58 वर्ष के शासनकाल में कई आमूलचूल परिवर्तन किए।
ऐसा कहा जाता है कि यदि कृष्ण देवराय कुछ साल और जीवित रहे होते तो साम्राज्य के साथ ही आज उनका इतिहास कुछ अलग ही होता। बाबर ने अपनी आत्मकथा ‘तुजुक-ए-बाबरी’ में कृष्ण देवराय को भारत का सर्वाधिक शक्तिशाली शासक बताया था।
आपको जानकर हैरानी होगी कि विजयनगर साम्राज्य की राजधानी हम्पी और डम्पी के खंडहरों महलों को देखकर ही यूनेस्को ने इसे विश्व धरोहर में शामिल कर लिया था। जिस तरह से वर्तमान दुबई और हांगकांग जैसे आधुनिक शहर हैं ठीक वैसे ही मगध, उज्जैनी और विजयनगर हुआ करते थे।
कृष्ण देवराय ने जब अपने बेटे को प्रशिक्षित करने हेतु उसे गद्दी सौंपी तो षड्यंत्र के चलते उसकी हत्या कर दी गई। जिसको लेकर वह एकदम टूट गए थे और कुछ समय पश्चात ही उनकी भी मृत्यु हो गई। इसके बाद अच्युत राय 1530 में गद्दी पर बैठा।
और उसके बाद 1542 में सदाशिवराय राजा बने। आपको बता दें कि वह केवल औपचारिक राजा थे। कहा जाता है कि वह शिव के बड़े भक्त थे। ज्यादातर समय शिवजी के ध्यान में लीन रहते थे। इसी कारण उनका नाम सदाशिव रखा गया था। ऐसी मान्यता है कि इन शिवलिंगों का निर्माण 17वीं शताब्दी में सदाशिवराय ने ही करवाया था। जबकि उनका कार्यकाल 15 वीं शताब्दी के अंतर्गत माना जाता है। इसलिए इनके निर्माण में फिलहाल कोई एकराय नहीं मिल पाई है।
आपको बता दें कि वर्तमान में यह जगह उत्तर कर्नाटक में है जिसे सहस्त्रलिंगा के नाम से जानते हैं। पूर्व में यह विजयनगर साम्राज्य के अंतर्गत की आती थी। यहां पर बहने वाली शलमाला नदी के नीचे स्थित चट्टानों पर शिवजी और उनके परिवार की हजारों की संख्या में आकृतियां बनी हुई हैं। जिन्हें नदी का पानी उतरने पर भलीभांति रूप से देखा जा सकता है।
पिछले कुछ समय से सोशल मीडिया पर इस जगह की कुछ तस्वीरें जमकर वायरल हो रही हैं। जिस कारण से यहां आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में भी खूब इजाफा हुआ है।