कोरोना पर पीएम मोदी ने एक हफ्ते में आज दूसरी बार देश को संबोधित किया। इस दौरान मोदी ने कहा कि 22 मार्च को जनता कर्फ्यू का एक संकल्प लिया था। भारत के हरेक नागरिक ने उसे निभाया। जनता कर्फ्यू को हर भारतवासी ने सफल बनाया। भारत ने दिखा दिया कि जब भी देश पर संकट आता है तो उसका देश एकजुट होकर सामना कर सकते हैं। दुनिया के समर्थ देशों को भी इस महामारी ने बेबश कर दिया है। ऐसा नहीं है कि वे प्रयास नहीं कर रहे बल्कि कोरोना वायरस की चुनौती बढ़ती ही जा रही है।
2 महीने के रिसर्च से पता चला है कि इससे बचने का एक मात्र उपाय है सोशल डिस्टेंसिंग। इसे रोकना है तो उसके संक्रमण की साईकल को तोड़ना ही होगा। सोशल डिस्टेंसिंग हर नागरिक, हर सदस्य यहां तक कि प्रधानमंत्री के लिए भी है। ऐसा नहीं है कि यह केवल संदिग्ध या संक्रमित लोगों के लिए ही हो। यदि अब भी यही लापरवाही रही तो इसकी बहुत बडी कीमत देश को चुकानी पडेगी। इसलिए केंद्र एवं राज्य सरकार के इन प्रयासों को गंभीरता से लेना चाहिए।
देश में आज रात 12 बजे से पूरे देश में संपूर्ण लॉकडाउन किया जा रहा है।
घरों से बाहर निकलने पर पूरी तरह से पाबंदी लगाई जा रही है। यह एक तरह से कर्फ्यू ही है। यानि जनता कर्फ्यू से भी एक कदम आगे और ज्यादा सख्त। हालांकि इस लॉकडाउन की देश को एक बड़ी आर्थिक कीमत चुकानी होगी लेकिन सरकार की उससे भी ज्यादा बडी प्राथमिकता जनता की जान बचाना है। इसलिए सभी से हाथ जोडकर प्रार्थना है कि जो व्यक्ति जहां है वहीं रहे।
हेग एक्सपर्ट की मानें तो इस साइकल को तोडने में 21 दिन जरूरी हैं।
इसलिए 21 दिनों के लिए हमें सबकुछ भूलकर घर बैठना होगा।
समझ लीजिए कि आपके घर के दरवाजे पर लक्ष्मण रेखा खींच दी गई है। ऐसे में एक कदम बाहर रखना ही कोरोना जैसी बीमारी को घर लेकर आ सकता है।
कोरोना पीड़ित व्यक्ति का शुरुआत में पता नहीं चलता इसलिए एतिहात बरतना ही एक समझारी है। इस महामारी से संक्रमित एक व्यक्ति सैकडों लोगों को संक्रमित कर सकता है। डब्यूएचओ के एक आंकड़े के अनुसार इस वायरस को पहले 1 लाख लोगों तक पहुंचने में 68 दिन लग गए। लेकिन उसके बाद 11 दिन में ही अगले 1 लाख लोग संक्रमित हो गए। इससे भी ज्यादा भयावह लगा जब 2 लाख से 3 लाख में पहुंचने में सिर्फ 4 दिन ही लगे।
यही वजह है कि चीन, इटली, फ्रांस और अमेरिका जैसे देशों में फैलने में ज्यादा समय नहीं लगा। इन सभी देशों में स्वास्थ्य सेवाएं काफी बेहतर हैं उसके बाद भी ये इस वायरस पर कंट्रोल नहीं कर पा रहे। हालांकि कुछ देश इस महामारी से बाहर निकल रहे हैं लेकिन उसमें यहां नागरिकों की भूमिका भी उतनी ही अहम रही है। उन्होंने सभी नियम कायदों का पालन किया है। इसलिए हमें भी घर से बाहर नहीं निकलना है, हरसंभव अंदर ही रहना है। क्योंकि हमें इस महामारी के संक्रमण को फैलने से रोकना है। भारत आज इस स्टेज पर है कि हम चाहें तो इसे कम कर सकते हैं।
याद रखना है कि जान है तो जहान है, यह धैर्य और संकल्प का समय है।
घरों में रहते हुए उन लोगों के बारें में सोचें जो अपनी जान जोखिम में डालकार एक—एक जीवन को बचाने का काम कर रहे हैं।
उन लोगों के लिए प्रार्थना करिए जो लोग आपके आस पास के क्षेत्रों को सेनेटाइज कर रहे हैं। मीडिया और पुलिसकर्मियों के बारे में सोचें जो अपने परिवार की चिंता करे बिना दिन रात ड्यूटी में लगे हुए हैं। आपकी रोजमर्रा की जिंदगी में कोई परेशानी न हो, इसके लिए सरकारें लगी हुई हैं। यह गरीबों के लिए भी एक संकट की घडी है। इस वैश्विक महामारी से मुकाबला करने के लिए केंद्र सरकार लगातार प्रयास कर रही है।
केंद्र सरकार ने आज 15 हजार करोड़ के बजट का प्रावधान किया है।
जरूरी संसाधनों के लिए यह राशि काम में ली जाएगी। इस समय सभी राज्यों की पहली प्राथमिकता हेल्थ केयर ही होनी चाहिए। प्राइवेट सेक्टर भी सरकार के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। ऐसे समय में अफवाह और अंधविश्वास से बचें। इस बीमारी के लक्षणों के दौरान बिना डॉक्टरों की सलाह के कोई दबाई न लें।
21 दिन का लॉकडाउन एक लंबा समय है लेकिन इसके अलावा और कोई उपाय नहीं है।