आखिर क्यों आई ट्रक ड्राइवरों के भूखों मरने की नौबत..
झालावाड़. प्रदेशभर में लॉकडाउन lockdown के चलते लोगों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। सरकार ने समर्थन मूल्य MSP पर रबी की खरीद करने की अनुमति तो दे दी मगर इस दौरान आने वाली समस्याओं को दरकिनार कर दिया। जिसका सामना अब मालवाहक वाहनों के ड्राइवरों को करना पड़ रहा है। मॉडिफाइड लॉकडाउन ने इन ट्रक चालकों की परेशानी को और बढ़ा दिया है। यह परेशानी हम्मालों की कमी के चलते झेलनी पड़ रही है। यही कारण है कि एफसीआई गोदामों के बाहर खड़े ट्रक एक दिन की जगह 4 दिन में भी खाली होते नहीं दिख रहे।
कौन होते हैं हम्माल :
आपको बता दें कि हम्माल Hammals उन मजदूरों को कहते हैं जो अनाज की बोरियों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर रखने का काम करते हैं। वह बड़े-बड़े ट्रकों से माल को उतारकर वेयर हाउसों में रखने का काम बखूबी करना जानते हैं।
ड्राइवरों को सताने लगा राशन का डर :
जिले में लॉकडाउन के बीच ही समर्थन मूल्य पर गेहूं Wheat की सरकारी खरीद शुरू कर दी गई, लेकिन उन मुश्किलों को नहीं समझा जो इन गेहूं की आवक आने के बाद इसके गोदामों वेयरहाउस में कौन खाली करेगा? हम्मालों की कमी के चलते गेहूं से भरे हुए ट्रक खाली नहीं हो रहे हैं। ऐसे में ट्रक ड्राइवरों को भूखों मरने की नौबत आ गई। 3 दिन से 70 से ज्यादा ट्रक माल खाली करने के इंतजार में खड़े हैं। अब उन्हें खाने का राशन खत्म होने का डर भी सताने लगा है।
इसलिए आई समस्या :
जिले में 12 खरीद केंद्र बनाए गए हैं जहां रोजाना हजारों टन गेहूं की आवक हो रही है। ज्यादातर हम्माल बाहरी थे, जो कोरोना महामारी के चलते अपने घर चले गए। ऐसे में एफसीआई FCI Godown गोदामों में 50 मजदूरों की जगह 10-12 मजदूर ही काम कर रहे हैं। स्थानीय लोग डर की वजह से घर से नहीं निकल पा रहे हैं। ऐसे में ट्रकों को खाली करने में समय लग रहा है।
जब इस मामले में प्रबन्धक भंडारण किशोरी लाल अनुरागी से बात की तो उन्होंने भी हम्मालों की कमी का होना बताया।