ज्योतिषशास्त्र के अनुसार व्यापार एवं धन वृद्धि के लिए कुछ उपाय बताए गए हैं। यदि इनका नियम कर्म के साथ पालन किया जाए तो ये उच्च फलदायी होते हैं। इन्हीं में से कुछ सरल एवं अचूक उपाय ज्योतिषाचार्य पंडित हरीश शर्मा आज आपको बता रहे हैं।
1 – लक्ष्मीनारायण मंदिर में हर शुक्रवार गुड़ चना बांटें। अपने व्यापारिक स्थल के मंदिर में लक्ष्मी जी की प्रतिमा स्थापित करें, ख़ुशबुदार अगरबत्ती जलाएं और प्रार्थना करें।
2 – व्यापार में स्थायी लाभ पाने के लिए गाय, कुत्ते और कौवों को रोटी दें।
3 – नींबू और हरी मिर्च के सरल उपाय से भी आप अपने व्यवसाय में वृद्धि कर सकते हैं। इसके लिए 7 हरी मिर्च और 7 नींबू लेकर माला बनाएं और उसे अपनी दुकान या व्यवसाय के स्थान पर उस जगह लगाएं जहां ग्राहक की निगाह पड़ती हो।
4 – लगातार 7 शनिवार पीपल का पत्ता लेकर उसे पानी से अच्छी तरह धोकर धूप-दीप दिखाने के बाद दुकान या कार्य स्थल पर उस जगह पर रखें जहां आप बैठते हैं। सात शनिवार पूरे होने के बाद इन सभी पत्तों को किसी नहर या बहते जल में बहा दें। ऐसा करने से व्यापार में वृद्धि होगी।
5 – कच्चे सूत के प्रयोग से भी आप व्यापार में वृद्धि कर सकते हैं। इसके लिए कच्चा सूत लेकर उसे केसर के घोल में भिगो कर रंग दें और फिर अपने कार्यक्षेत्र पर बांध दें।
6 – कपूर और रोली को जलाकर एक कागज़ में लपेट कर उसे कार्य स्थल या घर में उस जगह रखें जहां आप अपना धन रखते हैं। इससे आपको आर्थिक लाभ होगा। आपकी तिजोरी कभी खाली नहीं रहेगी।
7 – लड़ाई, झगड़े और क्लेश वाले घर में लक्ष्मी का निवास नहीं होता इसलिए घर में शांति, प्रेम और ख़ुशहाली का वातावरण बनाएं रखें।
8 – यदि व्यापार ठीक न चल रहा हो तो शुक्ल पक्ष के किसी भी दिन व्यापारिक स्थल के दरवाजे के दोनों ओर गेहूं का 1 मुट्ठी आटा रख दें। ध्यान रहे, ऐसा करते वक्त किसी की नजर आप पर न पड़े। आपको यह उपाय 1 माह 13 दिन तक करना होगा। ऐसा करने से आपको व्यापार में लाभ होगा।
9 – व्यापार में कोई समस्या चल रही हो तो किसी सफल कारोबारी के यहां जाएं और वहां से कोई लोहे की वस्तु ले आएं। इसके बाद अपने कार्य स्थल पर किसी भी जगह हल्दी से स्वस्तिक बनाएं। उसके ऊपर थोड़ी सी साबुत काली उड़द रखें और उसके ऊपर वह लोहे की वस्तु रख दें। इसके बाद आपके व्यवसाय में भी तरक्की होने लगेगी।
10 – दुकान या कार्य स्थल के अंदर जाने से पहले अपना दाहिना हाथ जमीन पर लगाएं और उसके बाद मस्तक और हृदय पर लगाएं, ठीक उसी तरह जिस तरह किसी पूजा स्थल में दाखिल होने से पहले हम करते हैं। इस सरल नियम का पालन अवश्य करें।