कारोबार में ईमानदारी का फलसफा दे गए महाशय, तांगे वाले से यूं बने मसाले वाले

कारोबार में ईमानदारी का फलसफा दे गए महाशय, तांगे वाले से यूं बने मसाले वाले
  • पढ़ाई में बचपन से रुचि नहीं थी, आज दुनियाभर में कंपनी का 2000 करोड़ रुपए का है कारोबार

मसालों की दुनिया के बादशाह कहे जाने वाले MDH Owner धर्मपाल गुलाटी Dharampal Gulati का गुरुवार की सुबह हार्ट अटैक से निधन हो गया। उनकी उम्र 98 साल थी। पिछले कई दिनों से दिल्ली के एक अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था। साल 2019 में ही राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा उन्हें पद्मविभूषण से सम्मानित किया गया था। महाशय के नाम से मशहूर गुलाटी तांगे वाले से कैसे मसाले वाले बने? आइए एक नजर ड़ालते हैं उनके इस जीवन पर…

महाशय धर्मपाल की शिक्षा की बात करें तो उन्होंने पांचवीं तक पढ़ाई करी, लेकिन परीक्षा नहीं दी और फिर हमेशा के लिए पढ़ाई से ही ​मुंह फेर लिया। ये बात है करीब 1933 की। हालांकि उनकी रुचि पढ़ने के मामले में बचपन से ही नहीं थी। मगर पिता चुन्नीलाल की जोर जबरदस्ती के चलते ही वो यहां तक पहुंचे थे। जब आगे उन्हें लगा कि अब पढ़ाई नहीं होगी तो पिता ने सियालकोट में ही मसाले की एक दुकान खुलवा दी, जो कि इनका पुश्तैनी कारोबार हुआ करता था।

650 रुपए में खरीदा था तांगा :

धर्मपाल गुलाटी का जन्म (1923) तो पाकिस्तान के सियालकोट में हुआ मगर विभाजन के बाद वह भारत में आ गए। यहां पहले कुछ दिन पंजाब के अमृतसर में बिताए और फिर लगा कि यहां गुजारा नहीं होगा तो दिल्ली की तरफ कदम बढ़ा दिए। इस समय उनकी उम्र महज 20 साल की थी। दिल्ली पहुंचकर जब काम की तलाश करी तो तांगा हाथ आया और लोगों को उनके गंतव्य तक पहुंचाने में लग गए। मगर उन्हें जल्द ही ये अहसास हो गया कि ये उनकी मंजिल नहीं है।

जब वह दिल्ली आए तो जेब में 1500 रुपए थे। इनमें से कुछ तो तांगे आ​दि में खर्च हो गए और जो बचे उनसे घर पर ही मसाले बनाकर बेचना शुरू कर दिया। मसालों में किसी तरह की कोई मिलावट नहीं होती थी तो लोगों के बीच विश्वास बनता चला गया। करोलबाग में एक दुकान खोली और काम चल पड़ा। इसके बाद दिल्ली के कीर्तिनगर में पहली फैक्ट्री लगाई। उसके बाद कभी पीछे ​मुड़कर नहीं देखा।

यूं पड़ा MDH नाम :

कंपनी के नाम की फुल फॉर्म का अंदाजा बहुत ही कम लोग लगा पाते हैं चूंकि नाम भले अंग्रेजी है मगर जहां से नाम निकला वो एक साधारण सी बात है। जब गुलाटी ने मसाले की दुकान खोली तो नाम था ‘महाशय की दुकान।’ पंजाबी में इसे ‘महाशियां दी हट्टी’ कहा जाता है। इसी का शॉर्ट फॉर्म MDH बन गया। जो आज देश ही नहीं बल्कि दुनिया में अपनी पहचान रखता है।

आज इन देशों तक फैला है कारोबार :

दिल्ली की दुकान से निकलकर आज MDH मसाले का कारोबार लंदन, अमेरिका, न्यूजीलैंड, सिंगापुर, शारजाह, हॉन्गकॉन्ग और साउथ अफ्रीका समेत तमाम देशों में फैला हुआ है। कंपनी के 4 लाख से ज्यादा रिटेल डीलर्स और 1000 से ज्यादा डिस्ट्रीब्यूटर मौजूद हैं। ​वर्तमान में कंपनी का करीब 2000 करोड़ रुपए से अधिक का कारोबार है। जिसके बलबूते कंपनी एक दिन में करीब 30 टन मसाले बनाकर पैक कर सकती है।

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