देश में तेल की कीमतें कौन तय कर रहा है? गहलोत ने केंद्र की मंशा पर उठाया सवाल

देश में तेल की कीमतें कौन तय कर रहा है? गहलोत ने केंद्र की मंशा पर उठाया सवाल

बोले अब इ​सलिए नहीं बढ़ रहे दाम..

देश में पेट्रोल डीजल Petrol-Diesel की कीमतों को लेकर पहले से बवाल मचा हुआ है। ऐसे में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने केंद्र सरकार पर जोरदार हमला बोला है। CM Ashok Gehlot ने पेट्रोल-डीजल की कीमतों में वृद्धि के निर्णय को लेकर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा है कि ‘चुनावों के ऐलान के बाद 28 फरवरी से आज 21 मार्च तक डीजल-पेट्रोल की कीमत में एक पैसे की बढ़ोतरी नहीं हुई है। जबकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें करीब 8 डॉलर प्रति बैरल तक बढ़ चुकी हैं। केन्द्र सरकार की इन चालबाजियों को देश अब अच्छे से समझ चुका है।’

तब ये दिया था तर्क

सीएम गहलोत ने कहा कि 26 फरवरी को पांच राज्यों में चुनाव के ऐलान से पहले डीजल-पेट्रोल के दाम रोजाना बढ़ रहे थे। 15 दिन में ही पेट्रोल-डीजल करीब 5 रुपए महंगा हो गया था। तब मोदी सरकार ने कच्चे तेल के महंगे होने और सरकार का नियंत्रण न होने की बात कही थी, लेकिन चुनाव के ऐलान के बाद स्थिति बदल गई।

क्या ये बात सही है?

बता दें कि देश में पेट्रोल-डीजल को जीएसटी GST से बाहर रखा गया है। ऐसे में तेल की कीमतें तेल कंपनियां तय करती हैं न कि सरकार। ये आंकलन अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल कीमतों के आधार पर तय होता है, लेकिन पिछले कुछ समय के आंकड़ों पर नजर ड़ालें तो जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें माइनस में चली गई थीं, उसके बावजूद भी देश में कंपनियों ने अपने दाम कम नहीं किए थे।

किसे मानें आधार

वहीं जब पिछले 15 दिनों में कच्चे तेल की कीमतों में हल्की बढ़ोतरी होने पर तेल के दाम करीब 5 रुपए तक बढ़ा दिए थे। उस समय कई जगह पेट्रोल की कीमतों ने पहली बार 100 का आंकड़ा तक पार कर लिया था। ऐसे में सवाल ये उठता है कि वास्तव में तेल की कीमतें तय करने का आधार किसे माना जाए?

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