शिव पुराण के भीतर आज के इस विशेष दिन का पूर्ण उल्लेख मिलता है। शिव पुराण में बताया गया है कि माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तप किया था। वहीं इसके लिए उन्हें 107 जन्मों तक कठोर तपस्या करनी पड़ी थी और तब कहीं जाकर माता पार्वती को भोलेनाथ पति रूप में मिल पाए। बताया जाता है कि आज ही के दिन श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को भगवान शिव और मां पार्वती का मिलन हुआ था।
इसलिए हिंदू धर्म में इस दिन को श्रावणी तीज अथवा हरियाली तीज के रूप में मनाया जाता है। खासकर उत्तर भारत में इस त्यौहार को विशेष रूप से मनाया जाता है। साथ ही यहां आज के दिन सावन के गीतों के साथ झूला झूलने की भी एक परंपरा है।
आज के दिन महिलाएं 16 श्रृंगार कर व्रत के माध्यम से अपने सुहाग की लंबी उम्र की कामना करती हैं। वहीं अविवाहित महिलाएं भगवान शिव की भांति पति मिले, इसके लिए व्रत करती हैं। महिलाओं के लिए यह दिन उत्तम सौभाग्य का दिन माना जाता है। माना जाता है विधि विधान के साथ पूजा एवं व्रत रखने पर अविवाहित महिलाओं को जल्द ही वर की प्राप्ति होती है।
आज की पूजा में 16 श्रृंगार का महत्व :
अखंड सौभाग्य के लिए किए जाने वाले इस व्रत में महिलाएं सदा सुहागन रहने की कामना करती हैं। साथ ही वह माता पार्वती को 16 श्रृंगार की वस्तुएं भी चढ़ाती हैं। व्रत के दौरान महिलाएं शिव—पार्वती के मिलन की कथा भी सुनती हैं। कहा ये भी जाता है कि भगवान शिव को पति स्वरूप में पाने के लिए भी महिलाएं ये व्रत करती हैं।