हर वर्ष की भांति इस बार भी कृष्ण जन्माष्टमी को लेकर लोगों में असमंजस की स्थिति बनी हुई है कि जन्माष्टमी का त्योहार 11 अगस्त को मनाएं या फिर 12 अगस्त को। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को हुआ था। वहीं ज्योतिषियों की मानें तो श्रीकृष्ण का जन्म रात्रि 12 बजे अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र में हुआ था।
इसलिए इसी तिथि और नक्षत्र में जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जाता है, लेकिन इस बार तिथि 11 अगस्त को ही लग जाएगी जो कि अगले दिन 12 अगस्त को सुबह 11 बजे तक रहेगी। मगर रोहिणी नक्षत्र इसके अगले दिन 13 अगस्त को लग रहा है। यही कारण है कि देश में दोनों दिन जन्माष्टमी मनाने की बात कही जा रही है।
ऐसी स्थिति में ज्योतिषी और पंडितों का कहना है कि जब उदया तिथि हो यानी जिस तिथि में सूर्योदय हो रहा हो, उस तिथि को ही जन्माष्टमी मनाई जाती है। इसलिए जन्माष्टमी का दान 11 अगस्त को और 12 अगस्त को पूजा और व्रत रखा जा सकता है।
श्रीराधा दामोदर मंदिर के महंत पं. रतन शास्त्री ने बताया कि 12 अगस्त को पूजा का शुभ समय रात्रि 12:05 मिनट से 12:47 मिनट तक रहेगा। पूजा की अवधि कुल 43 मिनट तक रहेगी। जन्माष्टमी पर इस बार वृद्धि संयोग बन रहा है, जो अति उत्तम हैं।
बता दें कि इस बार मथुरा एवं गोकुल में कृष्ण जन्माष्टमी 12 अगस्त को मनाई जाएगी। इसके लिए मंदिरों में तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। हालांकि कोरोना के चलते इस बार कृष्ण जन्माष्टमी के इस त्योहार पर बड़े आयोजनों की अनुमति नहीं दी गई है। इस दिन लोग भगवान श्रीकृष्ण का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए उपवास रखने के साथ ही भजन-कीर्तन और विधि-विधान से पूजा करते हैं।