जयपुर. जहां श्रीराम तत्व का जागरण हो जाता है वह स्थान अवध हो जाता है, फिर उसका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता। यह घटना मात्र समष्टि में ही नहीं अपितु व्यष्टि के स्तर पर भी घटती है। इस तथ्य को दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा आयोजित श्री राम कथा के द्वितीय दिवस कथाव्यास साध्वी दीपिका भारती जी ने अवध एवं लंका का तुलनात्मक विश्लेषण करते हुए उजागर किया। सात दिवसीय यह कथा 22 अप्रैल से 28 अप्रैल तक मानसरोवर के वी.टी. रोड स्थित हाउसिंग बोर्ड ग्राउंड पर आयोजित की जा रही है।
कार्यक्रम के द्वितीय दिवस का शुभारम्भ विधायक कालीचरण सर्राफ, राजस्थान हाइकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष एडवोकेट महेंद्र शांडिल्य, भाजपा नेता मदन प्रजापत, पूर्व चेयरमैन नगरपालिका केकड़ी अनिल मित्तल, बी. के. गुप्ता, ए. के. सक्सेना, सुरेश राजपुरावाला, डॉ. मनोज जांगिड़, मुकेश सिंघल, सतीश अग्रवाल, गुलाब चंद गुप्ता एवं पार्षद रामावतार गुप्ता द्वारा दीप प्रज्ज्वलन से हुआ।
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दशानन रावण को दीमक की संज्ञा देते हुए कथाव्यास जी ने रावण की आतंकवादी गतिविदियों का नक्शा लंका से लेकर त्रिशिरापल्ली, जनस्थान, दंडकारण्य से होता हुआ चित्रकूट तक बताया. उन्होंने कहा, “असुराधिपति रावण साधारण जन मानस को आतंकित करके उन्हें असुर बनने पर विवष करता था. गौ वध, नारियों का शोषण, ऋषि मुनियों पर अत्याचार रावण की आतंकवादी गतिविधियों के कुछ पहलू हैं।त्रेता युग के ऐसे परिवेश में जन मानस ही नहीं अपितु सम्पूर्ण वसुंधरा त्राहि माम कर उठी।“ कथाव्यास जी ने कहा, “ऐसा वातावरण हर युग में बनता है और फिर परमात्मा स्वयं शरीर धरण करके जन साधारण की पीर को हरने के लिए अवतरित होता है।
समाज निर्माण को लेकर विवेकानंद ने क्या कहा-
वर्तमान समाज में बढ़ रही हिंसा, अपराध,रोष, आपसी भेदभाव, नारी शोषण, भेदभाव के विषयों पर प्रकाश डालते हुए साध्वी जी ने कहा, “आज फिर से हम युग परिवर्तन के एक ऐसे ही दौर से गुज़र रहे हैं, जहां जन-जन के हृदय में श्री राम तत्व का अवतरण अर्थात जागरण होना अनिवार्य हो गया है। “श्री राम तत्व के जागरण को आस्तिकता का आधार बताते हुए साध्वी जी ने समाज में व्याप्त पाखंडों का खंडन किया और कहा, “नास्तिक मात्र वही नहीं जो ईश्वर को नहीं मानता। नास्तिक वह भी है जो ईश्वर को मानता है पर ईश्वर को जानता नहीं है,” कथाव्यास जी ने ईश्वर दर्शन का व्याख्यान करते हुए स्वामी विवेकानंद की कथनी को दोहराया, “If there is god we must see him, if there is soul we must percieve it, otherwise it’s better to be an atheist than being a hypocrite”.
मंच पर आसीन गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी के संगीतज्ञ शिष्य-शिष्याओं द्वारा प्रस्तुत मधुर भजनों को सुन, सभी श्रद्धालु झूम उठे।
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कई प्रकल्पों पर काम कर रहा है संस्थान
दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान एक अध्यात्मिक एवं सामाजिक संस्थान है, जो गत चार दशकों से दिव्य गुरु श्री आशुतोष महाराज जी के मार्ग दर्शन में ब्रह्मज्ञान द्वारा विश्व शांति के महान लक्ष्य को प्राप्त करने हेतु कार्यरत है I संस्थान के कई सामाजिक प्रकल्प हैं, जिनमें से एक प्रकल्प के अंतर्गत भारत की जेलों में कैदियों को सुधारने का कार्य किया जा रहा है, दूसरे प्रकल्प द्वारा नेत्रहीनों को रोज़गार प्रदान किया जा रहा है, तथा अन्य प्रकल्पों के माध्यम से नारी सशक्तिकरण, गौ संरक्षण, वातावरण संरक्षण, नशा उन्मूलन, अभावग्रस्त बच्चों को शिक्षा प्रदान कराने जैसा कार्य, विशाल स्तर पर किया रहा है।