बॉलीवुड में एक के बाद एक जैसी फिल्में या यूं कहें कि भेड़चाल इस कदर बढ़ गई कि दर्शकों को सिनेमा हॉल तक लाना न केवल एक चुनौतीभरा काम रह गया बल्कि उन्हें दो ढ़ाई घंटे तक फिल्म के साथ बांधे रखना भी बड़ा भारी काम है। इस लीक से हटकर निर्देशक होमी अदजानिया ने उदयपुर के घसीटेराम के पड़पोते और उसकी बेटी की कहानी को भांपने में कतई गलती नहीं करी।
फिल्म में इरफान खान की एक्टिंग के लोग पहले से ही दीवाने रहे हैं भले ही रोल कैसा भी क्यों न हो। वहीं इरफान के बाद इस फिल्म में दीपक डोबरियाल ने जो रफ्तार पकड़ी है उसका पीछा करना बाकी के कलाकारों के बसकी बात ही नहीं है। महिलाओं में डिंपल कपाड़िया ने जो पैठ बनाई है उससे एक बार फिर उनके दर्शक फैन बनने वाले हैं। पंकज त्रिपाठी का कैरेक्टर फिल्म में कुछ खास नहीं लगा।
इसलिए देखनी चाहिए..
यह फिल्म केवल भाषा को लेकर नहीं हैं। परिवार में रिश्तों की क्या अहमियत होती है इसको लेकर इस फिल्म में एक बड़ा संदेश समाज को देने की कोशिश होमी ने की है। एक तरफ बाप और बेटी के रिश्ते के महत्व को बतलाया है वहीं उतना ही महत्व एक भाई का दूसरे भाई के साथ दिखाया गया है। आज समाज से विलुप्त हो रहे सम्मिलित परिवार को एक साथ बांधे रखना और 21वीं सदी की जनरेशन से ये सवाल करना कि उन्हें जिन हालातों में पाल पोश कर बड़ा करने वाले माता पिता के प्रति उनका भी कोई दायित्व बनता है!
एक मध्यम परिवार को लेकर इस पूरी कहानी को बड़ी सुंदरता के साथ गढ़ने का काम निर्देशक होमी ने किया है। यह फिल्म आपको भावुक भी करेगी और थोड़ा गुदगुदाएगी भी, साथ ही संदेश भी देगी। रिश्तों में भावुकता अधिकांशत: इरफान और दीपक के बीच दिखाई देगी। या यूं कह सकते हैं कि इन दोनों ने ही फिल्म के नाम को सार्थक बनाया है। दोनों की अंग्रेजी की कम समझ और गूगल बाबा की मदद से बोलने का प्रयास इन्हें कहां कहां ले जाता है, इसी को लेकर फिल्म का ताना बाना बुना गया है।
फिल्म में गानों की बात की जाए लाडकी को सीजन का बेहतरीन गाना माना जा रहा है। जिसे सचिन जिगर की जोड़ी ने बनाया है। और हां, सबसे खास बात फिल्म में राजस्थान की खूबसूरती के आगे लंदन बेरूखा नजर आता है।अत: बाप बेटी के रिश्ते के साथ ही यह फिल्म उन भाइयों को भी जरूर देखनी चाहिए जिनके रिश्तों में कोई गांठ या दरार आ गई हो। स्टार्स की बात करें तो फिल्म को 3 से 4 तक मिल रहे हैं।