मुंबई को मायानगरी कहते हैं और इसका मोह हर किसी को अपनी ओर खींच ही लाता है। अच्छा भला तेलुगू फिल्म इंडस्ट्री में काम कर रहीं थीं। लेकिन जिंदगी को कुछ और ही मंजूर था। मात्र 16 साल की उम्र में अभिनय के क्षेत्र में कदम रखा और महज 3 साल बाद ही इंडस्ट्री में उस जमाने की सबसे महंगी अभिनेत्री बन जाना कोई बच्चों का काम नहीं था। मगर एक फिल्म से उन्हें इसी बात का हवाला देते हुए बाहर कर दिया कि वह अभी बचकान हैं जबकि फिल्म सीरियस है। लेकिन जब सिक्का चला तो सबके मुंह पर ताले लग गए। अभी शादी को 11 महीने ही हुए थे, उम्र थी महज 19 साल, बड़े दु:ख की बात थी कि वह जीवन से हमेशा हमेशा के लिए विदा हो गईं। ये कहानी है मशहूर दिवंगत हीरोइन ‘दिव्या भारती’ की।
एक जीवन परिचय :
नाम — दिव्या ओम प्रकाश भारती
जन्म — 25 फरवरी 1974
कार्य — अभिनेत्री
मृत्यु — 5 अप्रैल 1993, एक्सीडेंटल
‘विश्वात्मा’ की ‘कुसुम’ बनकर बॉलीवुड में आईं दिव्या, ‘शतरंज’ की ‘रेनू’ के बाद इस दुनिया से हमेशा के लिए अलविदा कह गईं। उनके जीवन से जुड़े कुछ अनछुए पहलू हैं जिनके बारे में आज आपको भी जान लेना चाहिए। बॉलीवुड में ‘दिव्या भारती’ एक ऐसा नाम जिससे शायद ही कोई अनभिज्ञ रहा हो। हालांकि तेलुगू से हिंदी फिल्मों में आते वक्त उन्हें भी राजनीति का सामना करना पड़ा और शायद समझौता प्रणाली में फिट न बैठने के कारण दो फिल्में शूटिंग करने के बाद भी छोड़नी पड़ी थीं। लेकिन जब शुरूआत हुई तो सबकी जुबां पर एक ही नाम था और वो था ‘दिव्या भारती का।’ सनी देओल के साथ ‘विश्वात्मा’ उनकी पहली फिल्म थी जिसे दर्शकों ने भरपूर प्यार दिया।
देखते ही देखते दिव्या का जलवा दर्शकों के दिलों पर इतना प्रभावी हो गया कि करीब 5-6 फिल्मों की एक साथ शूटिंग शेड्यूल और इतनी ही फिल्मों को एड़वांस में साइन किया हुआ था। साथ ही न जाने कितनी फिल्मों की स्क्रिप्ट कतार में थीं। इनके अलावा तेलुगू फिल्में भी थीं जिन पर शूटिंग चल रही थी। इसी से उनकी लोकप्रियता का बखूबी अंदाजा आप लगा सकते हैं।
‘शोला और शबनम’ का वो दौर एक तरफ दिव्या के जीवन में नए रंग भरने वाला था। साथ ही कह सकते हैं कि उनकी जिंदगी की उल्टी गिनती भी यहीं से शुरू हो गई थी। ‘शोला और शबनम’ फिल्म के सैट पर निर्माता ‘साजिद नाडियाडवाला’ और दिव्या की मुलाकात हुई। कहते हैं कि सैट पर पहली बार ‘गोविंदा’ ने एक दूसरे को इंट्रोड्यूस कराया था। बताया जाता है कि उसके बाद से ही साजिद ने रेगुलर सैट पर आना शुरू कर दिया था।
कहा जाता है कि दोनों ने एक दूसरे को पसंद कर लिया था और ‘चट मंगनी पट ब्याह’ में दिव्या की तरफ से उसकी एक दोस्त संध्या जो कि उनकी हेयर ड्रेसर थीं और उनके पति को ही शामिल किया गया था। आपको बता दें कि दिव्या को बाल संवारने का बहुत शौक था और उन पर सभी तरह की हेयर स्टाइल जंचती भी थीं। यही कारण था कि संध्या उनके निजी जीवन के काफी नजदीक थी।
आपको बता दें कि मुस्लिम रीति रिवाज से हुई इस शादी में दिव्या का धर्मांतरण करने के साथ ही उनका नाम परिवर्तन भी हुआ और नाम रखा गया ‘सना नाडियाडवाला।’ शादी को अभी महज 11 महीने ही बीते थे कि दिव्या उर्फ सना ने जिंदगी से अलविदा कह दिया। ये एक ऐसी मिस्ट्री यानि अनसुलझी कहानी है जिसे मुंबई पुलिस आज तक नहीं सुलझा पाई है।
वो मनहूस रात :
5 अप्रैल 1992 का दिन था। बताया जाता है कि इस दिन दिव्या एक नए फ्लैट की डील करने वाली थीं। एक तेलुगू फिल्म की शूटिंग करके लौटीं दिव्या को फिर से दूसरी शूटिंग के लिए हैदराबाद निकलना था। लेकिन इस डील के कारण ही उन्होंने उस दिन के शेड्यूल को कैंसिल कर दिया था। हालांकि इस डील के बारे में ज्यादा कुछ जानकारी बाहर नहीं आ पाई इसलिए एक शक यहां पैदा होता है।
खैर! उस दिन जब शूटिंग कैंसिल कर ही दी तो दिव्या ने अपनी फैशन डिजाइनर नीता लुल्ला और उनके पति श्याम लुल्ला से मिलने का मन बनाया। ये दोनों रात करीब 10 बजे वर्सोवा स्थित उस फ्लैट पर पहुंचे जो दिव्या के नाम पर नहीं था। बताया जाता है कि दिव्या ज्यादातर इसी फ्लैट में रहा करती थीं। यहां एक सवाल ये भी उठता है कि इतनी मशहूर अभिनेत्री और एक बड़े फिल्म निर्माता की पत्नी होने के बाद भी आखिर इस तरह के झोल के पीछे का कारण क्या था?
बताया जाता है कि फ्लैट में बैठकर तीनों शराब पी रहे थे। इस दौरान उनकी मेड अमृता भी वहां मौजूद थी। दिव्या लिविंग रूम से उठकर बाहर बालकनी के नजदीक पहुंचती हैं और उस पर बैठ जाती हैं। कुछ देर बाद जब वह वहां से उठने के लिए खड़ी होती हैं तो अचानक से उसका संतुलन बिगड़ जाता है और वह पांचवीं मंजिल से नीचे पार्किंग एरिया में आ गिरती है। जब दिव्या नीचे गिरीं तो उस वक्त मेड अमृता किचन में थी और नीता और उसके पति दोनों लिविंग एरिया में ही बैठे कोई वीडियो देख रहे थे।
जिस बालकनी से दिव्या नीचे गिरीं उसमें कोई ग्रिल लगी हुई नहीं थी। मन कहता है कि काश! इस 5वीं माले पर बने फ्लैट की बालकनी पर ग्रिल लगी होती तो शायद दिव्या आज जिंदा होती। ऐसे में कई सवाल हैं जो हर किसी के मन में उठना लाजमी हैं मगर उनके जबाव मिलना शायद ही अब कभी संभव हो पाए। नीचे गिरने के काफी देर बाद एंबुलेंस के माध्यम से दिव्या को मुंबई के कूपर हॉस्पिटल ले जाया गया जहां इमरजेंसी वॉर्ड में उन्होंने अंतिम सांसें ली।
खबरों की मानें तो दिव्या की मौत के पीछे का एक तथ्य ये भी सामने आता है कि उनके पति साजिद के अंडरवर्ल्ड के साथ संबंध थे जिनको लेकर वह अवसाद में थी। ऐसे और भी कई तथ्य हैं जिनको दिव्या की मौत का कारण माना जाता रहा है। यही कारण है कि दिव्या की इस मौत को एक्सीडेंटल, आत्महत्या अथवा हत्या तीनों के रूप में देखा जाता रहा है।
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