Bihar Chunav 2020: बिहार में विधानसभा चुनावों को लेकर चुनाव आयोग कभी भी तारीखों का ऐलान कर सकता है। ऐसे में राजनीतिक पार्टियों ने भी अपना दमखम दिखाना शुरू कर दिया है। मगर एक सवाल सभी के जेहन में है कि आखिर कोरोना महामारी के बीच होने जा रहे देश के इस पहले चुनाव के मुद्दे क्या होंगे? बिहार की राजनीति को तौलने वाले बताते हैं कि इस बार वजन न तो मंडल-कमंडल में दिखाई दे रहा और न ही कोई राम मंदिर की बात कर रहा है। ऐसे में आरजेडी ने अपने पत्ते खोलना शुरू कर दिया है और मौजूदा सरकार को लेकर आरजेडी RJD खुलकर धावा बोल रही है।
RJD बिहार की जनता को पिछले 15 साल में हुए विकास की तस्वीरें दिखा रही है तो वहीं जेडीयू गंठबंधन JDU-BJP 15 साल पहले की बात कर रहे हैं। मगर इन सबके बीच इस बार बिहार में प्रत्याशियों के चयन को लेकर बड़ी बात सामने आ रही है। पता चला है कि पार्टियां इस बार प्रत्याशियों की छवि का आंकलन ज्यादा कर रही हैं। आरजेडी की कमान इस बार तेजस्वी के हाथों में है और यही कारण है कि इस बार मंच से उनका कोई विवादित बयान सामने नहीं आया है। पिता लालू यादव की नीति पर सबको साथ लेकर चलने की बात कर हैं।
बिहार चुनाव में प्रमुख मुद्दे :
इस बार बिहार चुनावों में बेरोजगारी और भ्रष्टाचार सबसे अहम मुद्दे हैं जिन पर तेजस्वी यादव नीतीश सरकार को घेरने की पुरजोर कोशिश करते दिखाई दे रहे हैं। साथ ही सरकार से सुशासन के दावों का हिसाब भी मांग रहे हैं। इसके अलावा भ्रष्टाचार को लेकर बाढ़ में बह रहे पुलों का मुद्दा भी खूब उठाया जा रहा है। वहीं प्रदेश में व्याप्त गरीबी भी इस बार चुनावी मुद्दा बनी हुई है।
कैसा है जनता का मूड :
बिहार में कोरोना महामारी के चलते इन दिनों लोग रोजी रोटी को लेकर परेशान हैं। दूसरा बाढ़ से भी हालात खराब हैं। ऐसे में ये दो परेशानियां चुनावों को काफी हद तक प्रभावित करेंगी। मगर जनता के वोट का प्रतिशत इस बार चुनावों में अहम माना जा रहा है। जनता के मूड़ की बात करें तो वह कोरोना संक्रमण की तरह पॉजिटिव दिखाई दे रहा है मगर परिणामों की बात करें तो नेगेटिव आ सकते हैं। जिस प्रकार से मुद्दों को तबज्जो दी जा रही है, उसे वोटों में तब्दील करने में पार्टियां कितनी सफल हो पाती हैं ये तो आने वाला वक्त ही बता पाएगा।