दिसपुर. असम Assam की सत्ता फिर से बीजेपी गठबंधन के हाथों में चली गई। बीजेपी नेता हिमंता बिस्वा सरमा Himanta Biswa Sarma को राज्यपाल जगदीश मुखी ने आज मुख्यमंत्री CM पद की शपथ दिला दी। इस कार्यक्रम में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा भी शामिल हुए। बता दें कि सरमा को कल ही विधायक दल के नेता के रूप में चुन लिया गया था। आज मुख्यमंत्री के साथ ही कई और मंत्रियों को भी शपथ दिलाई गई है।
कौन हैं हिमंत बिस्वा सरमा?
हिमंता बिस्वा सरमा ने छात्र राजनीति से अपने पॉलिटिकल कॅरियर की शुरुआत की थी, लेकिन उस समय वह कांग्रेस विरोधी हुआ करते थे। उसके बाद सक्रिय राजनीति में आने का फैसला सरमा ने साल 2001 में किया। पहली बार कांग्रेस के टिकट पर जालुकबरी विधानसभा सीट से एमएलए का चुनाव लड़ा। इसके बाद से उन्होंने कभी हार का मुंह नहीं देखा और इसी सीट से लगातार पांचवीं बार विधायक बने हैं। वर्तमान में वह बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़कर सीएम के पद तक पहुंचने में सफल हुए हैं।
कांग्रेस से क्यों हुए अलग?
सरमा के कांग्रेस छोड़ने के पीछे कई अंदरूनी राज छिपे हुए हैं। वह उत्तरी भारत की राजनीति में पैर जमाने वाले सफल नेता के रूप में बाहर निकलकर आए हैं। पॉलिटिकल मैनेजमेंट को लेकर उनकी पकड़ बेहद मजबूत बताई जाती है। यही कारण है कि बीजेपी ने उन्हें सही समय पर अपनी ओर कर लिया। सरमा 2015 में ही कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हो गए थे। अमित शाह के घर पर उन्होंने बीजेपी को ज्वॉइन किया था। मीडिया में इसके पीछे की वजह हिमंता सरमा और गोगोई के बीच की तनातनी को मूल मुद्दा बताया गया था, जबकि सारा रोड़ा सीएम की कुर्सी का था।
बीजेपी ने किया 60 सीटों पर कब्जा
असम में कुल 126 विधानसभा सीटें हैं। जिनमें से बीजेपी ने 60 और उसकी सहयोगी पार्टी असम गण परिषद् ने 9 जबकि यूनाइटेड पीपुल्स पार्टी लिबरल ने 6 सीटें जींती। इस प्रकार बीजेपी गठबंधन के पास कुल 75 सीटों का बहुमत हो गया था। बीजेपी ने प्रदेश में लगातार दूसरी बार सरकार बनाने का ये कारनामा कर दिखाया है।