Bihar Assembly Election 2020: शिक्षा, स्वास्थ, रोजगार, पर्यावरण जैसे मुद्दों पर युवाओं ने अपना चुनावी एजेंडा तैयार किया। जिसमें युवा हल्ला बोल की टीम ने बिहार को लेकर हैरत में डालने वाले कई चिंताजनक तथ्य और आंकड़े पेश किए हैं। गुरुवार को पटना में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए युवा हल्ला बोल के राष्ट्रीय संयोजक अनुपम ने “बोल बिहारी: मुद्दा हमारा, बात हमारी” अभियान की घोषणा की।
युवाओं के मसलों पर देशभर में सक्रिय आंदोलन ‘युवा हल्ला बोल’ Yuva Halla Bol ने बिहार चुनावों के लिए 11-सूत्री एजेंडा की घोषणा की है। चुनाव के दौरान मुद्दों से ध्यान भटकाने की राजनीतिक चाल को नाकाम करने के उद्देश्य से ‘बोल बिहारी’ Bol Bihari मुहिम का ऐलान किया गया है। मुहिम के तहत सरकार के कामकाज की समीक्षा, प्रत्याशियों से सवाल और नागरिकों से संवाद किया जाएगा।
बिहार विधानसभा चुनाव Bihar पार्टियों और नेताओं की मौकापरस्ती, आरोप-प्रत्यारोप और सांठगांठ तक सिमटती जा रही है। ऐसे में ये कोशिश होनी चाहिए कि चुनावों का आम जनता से सीधा सरोकार हो, बिहार और बिहारियों के मुद्दों पर बात हो और चुनाव लड़ने वाले इनपर अपना रुख स्पष्ट करे। बिहार के बेहतर भविष्य के लिए ‘बोल बिहारी’..
ये हैं बिहार के 11 अहम मुद्दे?
1) सालाना आने वाली बाढ़ का समाधान क्यों नहीं निकाल पाती सरकार?
— 1954 से 2017 केे बीच राज्य में तटबंध 160 किमी से बढ़कर 3731 किमी हो गए लेकिन बाढ़ प्रभावित क्षेत्र 25 लाख हेक्टेयर से 73 लाख हेक्टेयर हो गया, मतलब केवल तटबंध समाधान नहीं.
— अवैध खनन के जरिये पर्यावरण को नुकसान के साथ साथ बाढ़ राहत के नाम पर भी करोड़ों का भ्रष्टाचार.
2) असरदार कूड़ा प्रबंधन और जल निकासी नीति बनाकर शहरों में बाढ़-जलजमाव का समाधान और डेंगू, मलेरिया जैसी बीमारियों पर रोकथाम क्यों नहीं लगा सकती सरकार?
— कूड़ा प्रबंधन ना होने के कारण हर शहर कस्बे में कचरे का पहाड़ बन जाता है जिससे नदी नाले भी जाम होते हैं और जल निकासी न होने के कारण थोड़ी बहुत बारिश से ही शहरों मेें बाढ़ जैसी स्थिति बनने लगी है.
— धूल मिट्टी धुवां, निर्माण कार्य, वाहन औैर फैक्ट्रियों के कारण वायु प्रदूषण पर प्रतिकूल प्रभाव जिससे बिहार के कई शहरों में PM 2.5 और PM 10 भी जानलेवा स्तर तक.
— ‘स्वच्छ सर्वेक्षण 2020’ मेें भी राजधानी पटना सहित गया, बक्सर, भागलपुर, सहरसा, बिहार शरीफ की गिनती देश के सबसे गंदे शहरों में.
3) विलुप्त हो रहे जलस्रोतों जैसे कि पोखर, तालाबों के पुनर्जीवन, भूजल स्तर सुधारने और गंगा की सफाई पर सरकार ठोस काम क्यों नहीं करती?
— पिछले दशकों में सरकारी उदासीनता के कारण जलस्रोतों में भारी कमी और भूजल में गिरावट आयी है, सरकारी सर्वे के अनुसार 34,559 जलस्रोतों पर कई वर्षों से अतिक्रमण.
— ‘नमामि गंगे’ योजना के नाम पर हजारों करोड़ बहा देने के बावजूद पर्याप्त संख्या में सीवर ट्रीटमेंट प्लांट की जगह आज भी नालियों का कचरा गंगा में जा रहा.
4) सभी सरकारी स्कूलों मेें साल भर के अंदर बिजली, कम्प्यूटर, इंटरनेट, लाइब्रेरी, मैदान, शौचालय, पेयजल जैसी मूलभूत व्यवस्थाएं क्यों नहीं हो सकती?
— 47% स्कूलों में बाउंड्री वॉल तक नहीं, 64.4% स्कूल में मैदान नहीं, 31% स्कूलों में लाइब्रेरी नहीं, 58.6% स्कूलों में बिजली नहीं, 92% स्कूलों में कंप्यूटर की व्यवस्था नहीं है.
6) शिक्षा की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के साथ साथ रिक्त पदों पर ‘मॉडल एग्जाम कोड’ के तहत शिक्षकों की भर्ती क्यों नहीं हो सकती?
— बिहार में 2,75,255 शिक्षकों के पद खाली जिसे 9 महीने में भरा जाना चाहिए.
— माध्यमिक स्तर पर 45% और उच्च माध्यमिक स्तर पर 60% शिक्षक प्रशिक्षण के अभाव में अयोग्य (DISE 2017)
— तीसरी कक्षा के 54% छात्र सामान्य जोड़-घटाव करने में सक्षम नहीं और 46% बच्चे अंक पहचानने में भी सक्षम नहीं (ASER 2019)
7) प्रोफ़ेशनल कोर्सेज और महिला कॉलेज का ध्यान रखते हुए क्या हर जिले में विश्विद्यालय नहीं खोल सकती सरकार?
— पिछले 5 साल में सिर्फ 5 सरकारी और 6 निजी विश्विद्यालयों की घोषणा जिसमें कई विश्वविद्यालय चालू ही नहीं हुए (UGC वेबसाइट)
— बिहार में (18-23) साल के नौजवानो में उच्च शिक्षा पाने वाले सिर्फ 13% जो देश के किसी भी राज्य की तुलना में सबसे खराब (AISHE 2018-19)
— प्रति एक लाख युवाओं पर सिर्फ सात कॉलेज के साथ देशभर में सबसे निचले पायदान पर बिहार (AISHE 2018-19)
— शिक्षण संस्थानों में अनदेखी, सत्र में देरी और व्यापक भ्रष्टाचार को मिटाने के लिए कानूनन जुर्माना हो औैर ऐसे मामलों की समयबद्ध ढंग से जाँच की जाए
8) IIT, NEET, CLAT जैसी परीक्षाओं के लिए सरकार गरीब वंचित छात्रों को कोचिंग क्यों नहीं उपलब्ध करा सकती?
— लाखों छात्रों को इन परीक्षाओं की तैयारी के लिए दिल्ली, कोटा जैसे शहर जाना पड़ता है जो गरीब परिवारों को आर्थिक रूप से तोड़ देता है
9) बिहार में 36 लाख से ज़्यादा बेरोज़गार लोगों के लिए सरकार की क्या योजना है?
— 11.9% बेरोज़गारी दर और 38.5% श्रम भागीदारी के साथ बिहार में कुल 36 लाख 37 हज़ार बेरोज़गार
— महिलाओं में 55.8% की भयावह बेरोजगारी दर और 3.5% की चिंताजनक श्रम भागीदारी
— रोज़गार न होने के कारण राज्य के श्रमिकों को सैकड़ों हज़ारों किलोमीटर पलायन करके कठिन परिस्थियों में जीवन यापन करना पड़ता है
10) चार लाख से ऊपर खाली पड़े सरकारी पदों पर नौकरी क्यों नहीं दी जा सकती?
— स्वास्थ्य विभाग में तीन चौथाई पद खाली, जिनमें करीब 7800 डॉक्टर, 13800 नर्स और 1500 फार्मासिस्ट
— देश में सबसे खराब नागरिक पुलिस अनुपात होने के बावजूद पचास हज़ार से ऊपर पुलिस विभाग में पद खाली
— देश में सबसे ज़्यादा 2,75,255 शिक्षकों के पद बिहार में खाली (केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय)
11) क्या बिहार के हर नागरिक को समुचित स्वास्थ्य सुविधा नहीं दे सकती सरकार?
— बिहार में एक लाख नागरिकों पर 26 अस्पताल बेड भी नहीं जबकि राष्ट्रीय औसत 138 बेड और एक तिहाई से ज़्यादा डॉक्टर सिर्फ पटना में ही (आईएमए)
— प्रति लाख नागरिकों पर एक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की जरूरत लेकिन बिहार में 91% की कमी (NRHM के आँकड़े)
12) किसानों की फसल MSP पर क्यों नहीं खरीद सकती है सरकार?
— सरकार ने 2020-21 में 7 लाख टन गेंहू किसानों से खरीदने की घोषणा की पर अब तक सिर्फ 0.05 लाख टन खरीदा (RTI the Wire)
— इस साल मकई किसानों को ₹1760 रुपए एमएसपी की बजाए ₹1000 भी नहीं मिला