मां बनना किसी भी महिला के लिए बहुत खास अनुभव होता है। इस दौरान महिला को डॉक्टर के साथ घर और बाहर सभी जगह से कई तरह की सलाह मिलती हैं। जिनमें महिलाओं के अनुभवों या दादी—नानी की कही बातें भी शामिल होती हैं। ऐसे में पहली बार मां बनने जा रही महिला काफी बातों को लेकर कन्फ्यूज रहती है। इस समय में प्रैग्नेंट महिला के लिए बहुत जरूरी हो जाता है कि स्वस्थ रहने के लिए वह ये जान सके कि उसे क्या करना है और क्या नहीं करना है। गर्भावस्था के समय प्रारम्भ के तीन माह उसके लिए बहुत महत्वपूर्ण माने जाते हैं। महिला को इस दौरान खास सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है। जिससे प्रैग्नेंसी का समय तो आराम से निकले ही साथ में होने वाला बच्चा भी स्वस्थ हो।
ये वो बातें हैं जिनका ख्याल रखना चाहिए :
प्रेग्नेंसी की शुरुआत में महिला को डॉक्टर की सलाह के अनुसार चलना उचित रहता है। जिससे होने वाले शारीरिक बदलावों को आसानी से समझा जा सके। ऐसे में महिलाओं में आमतौर पर होने वाली मॉर्निंग सिकनेस से बचने के लिए उन्हें अदरक की चाय, नींबू-पानी लेना चाहिए। शरीर में पानी की कमी न हो इसलिए नारियल पानी, फलों का ताजा रस, छाछ आदि लेना भी अच्छा रहता है। इस समय में प्रैग्नेंट महिला को प्रदूषण, भीड़भाड़ और ज्यादा रेडिएशन वाली जगहों पर नहीं जाने की सलाह दी जाती है। जिससे बच्चे के विकास पर दुष्प्रभाव न पड़े। क्योंकि शुरू के तीन महीनों में बच्चे के अंग बनना शुरू हो जाते हैं। इसी समय महिला के शरीर में कई तरह के शारीरिक और हार्मोनल बदलाव भी होते हैं। इन नए अनुभवों से स्वभाव और स्वाद दोनों में बदलाव होने लगते हैं।
खाने में इन चीजों को करें शामिल :
जन्म लेने वाले बच्चे को स्वस्थ रखने के लिए महिलाओं को डॉक्टर की ओर से इस समय में कई तरह की सलाह दी जाती हैं। जिससे बच्चे के मस्तिष्क और तंत्रिका प्रणाली का विकास अच्छा हो सके। महिलाओें को हरी पत्तेदार सब्जियां, ताजा फलों, सरसों के तेल, ड्राइफ्रूट्स, फिश लिवर ऑयल का सेवन करने से यह अच्छी मात्रा में मिल सकता है। वहीं डॉक्टर फोलिक एसिड और आयरन के लिए भी गोलियां देते हैं। जिससे शरीर में खून की कमी न हो। इस समय प्रोटीन, कैल्शियम और आयरन युक्त चीजों को आहार में शामिल करना चाहिए। जिसके लिए दूध, दही, पनीर, दाल, पालक, सोयाबीन, गुड़, अनार, चना, अंडा और नॉनवेज आहार में शामिल करना अच्छा होता है। बच्चे के विकास के लिए हर 2 से 3 घंटों में कुछ पौष्टिक खाते रहना भी जरूरी होता है।
दवाईयों का रखें विशेष ध्यान :
प्रैग्नैंसी के समय में महिलाओं को कई तरह की शारीरिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में डॉक्टर की सलाह के बिना किसी भी तरह की दवाई लेना घातक सिद्ध हो सकता है। जिससे मां के साथ होने वाले बच्चे को भी नुकसान हो सकता है। ऐसे में बुखार, सर्दी-जुकाम, उल्टी, सिरदर्द जैसी छोटी मानी जाने वाली बीमारियों के लिए भी डॉक्टर की सलाह के बिना दवाई नहीं लेनी चाहिए।
ये एक्सरसाइज भी करें :
डॉक्टर पहले तीन महीने के बाद चेकअप कर प्रैग्नैंसी महिलाओं को हल्की एक्सर साइज का चार्ट बनाकर देते हैं। जिनमें डॉक्टर की सलाह लेकर ध्यान के साथ डीप ब्रीथिंग एक्सरसाइज, बॉडी स्ट्रेचिंग, नेक स्ट्रेचिंग, चेस्ट वॉल स्ट्रेचिंग, बट ब्रिज एक्सरसाइज, पैरों की स्ट्रेचिंग आदि की जा सकती है।
इनके अलावा सबसे खास बात प्रैग्नेंसी के समय महिलाओं को अपने और बच्चे के अच्छे स्वास्थ्य के लिए भोजन में पौष्टिक आहार को शामिल करना चाहिए। इस समय में आराम के साथ डॉक्टर की सलाह लेकर व्यायाम करना भी बेहद लाभदायी रहता है।
डॉ. ऋचा पारख, गायनोक्लोजिस्ट