Delhi Board of School Education: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल Delhi CM Arvind Kejriwal ने शनिवार को प्रेस को संबोधित करते हुए एक बड़ा ऐलान किया। केजरीवाल ने कहा कि अब देश की राजधानी दिल्ली का भी अपना शिक्षा बोर्ड Delhi Board of School Education होगा। उन्होंने कहा कि कैबिनेट से भी इस फैसले पर मंजूरी मिल चुकी है और इसी साल से कुछेक स्कूलों में नए बोर्ड के तहत पढ़ाई भी शुरू करा दी जाएगी। बता दें कि इससे पहले दिल्ली के सरकारी और प्राइवेट स्कूलों में CBSE और ICSE बोर्ड के तहत ही पढ़ाई होती थी।
बच्चे को रट्टू तोता न बनाएं
केजरीवाल ने कहा कि बच्चों को रट्टू तोता नहीं बनाया जाएगा। इस नई शिक्षा नीति में बच्चों को रटने के बजाय उनके समझ को बढ़ाने पर जोर दिया जाएगा। केजरीवाल ने कहा कि किसी भी बच्चे का आंकलन केवल के साल के आखिरी में 3 घंटे के आधार पर न किया जाए। जबकि ये आंकलन सालभर का रहना चाहिए। ईश्वर ने इंसान को बनाया है और हरेक इंसान के भीतर कोई न कोई एक क्वालिटी ईश्वर ने जरूर दी है। नए शिक्षा बोर्ड के तहत सबसे पहले बच्चे की उसी क्वालिटी और एविलिटी को जांचने का काम किया जाएगा। इसके बाद बच्चे को उसकी रूचि के क्षेत्र में ही आगे बढ़ाया जाएगा।
नए शिक्षा बोर्ड के 3 लक्ष्य क्या हैं?
‘दिल्ली बोर्ड ऑफ स्कूल एजुकेशन’ की स्थापना दिल्ली की शिक्षा व्यवस्था में हो रहे क्रांतिकारी परिवर्तन को नई ऊंचाइयों की तरफ लेकर जाएगा।
पहला लक्ष्य – ऐसे बच्चे तैयार करने हैं जो कट्टर देशभक्त हों। जो अपने देश के लिए मर मिटने का जज्बा रखते हों। जो आने वाले समय में देश में हर क्षेत्र में जिम्मेदारी उठाने को तैयार हों, चाहे कोई सा भी क्षेत्र क्यों न हो।
दूसरा लक्ष्य – हमारे बच्चे अच्छे इंसान बनें, चाहे वे किसी भी धर्म या जाति के हों, अमीर हो या गरीब हो। ये सारी दीवारें तोड़कर सब एक दूसरे को इंसान समझें। परिवार के साथ समाज को भी साथ लेकर चलें।
तीसरा लक्ष्य – बड़ी–बड़ी डिग्री लेने के बाद भी बच्चों को नौकरी नहीं मिलती, ऐसी शिक्षा का क्या फायदा? इसलिए नया शिक्षा बोर्ड ऐसी शिक्षा प्रणाली को तैयार करेगा, जब पढ़ाई पूरी करने के बाद निकले तो दर-दर ठोकरें न खाएं, उन्हें रोजगार मिलेगा।
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— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) March 6, 2021
दिल्ली में स्कूलों की संख्या?
दिल्ली में स्कूलों की बात करें तो यहां करीब 2,700 स्कूल हैं। जिनमें 1000 सरकारी और 1700 प्राइवेट हैं। इनमें ज्यादातर स्कूल CBSE बोर्ड से ही संबंद्ध हैं, लेकिन अब ये पैटर्न बदलने वाला है। शुरुआत में कुछेक सरकारी स्कूलों में नए बोर्ड के तहत पढ़ाई करवाई जाएगी और उसके बाद धीरे-धीरे आने वाले 5 से 6 साल के भीतर सभी सरकारी स्कूलों में इसे लागू कर दिया जाएगा।