नई शिक्षा नीति से जुड़ी वो हरेक बात जो आप जानना चाहते हैं

नई शिक्षा नीति से जुड़ी वो हरेक बात जो आप जानना चाहते हैं

केंद्र सरकार ने दो दिन पहले यानि 29 जुलाई को शिक्षा प्रणाली में एक बड़ा बदलाव किया है। जिसमें मानव संसाधन मंत्रालय का नाम बदलकर एक बार फिर शिक्षा मंत्रालय कर दिया गया। साथ ही एक लंबे समय से चली आ रही नई शिक्षा नीति की मांग को भी मंजूरी दे दी गई। बता दें कि राष्ट्रीय शिक्षा से जुड़े मामलों में करीब 34 साल बाद एक बड़ा परिवर्तन देखने को मिला है। अब इस परिवर्तन के कई मायने भी निकाले जा रहे हैं। बहरहाल सबसे पहले हमें ये समझना होगा कि आखिर इस नई शिक्षा नीति में जो व्यापक बदलाव किए गए हैं, दरअसल वो हैं क्या?

पहले कुछ शॉर्ट बिंदु :

उच्च शिक्षा के नियमों में मेडिकल और विधि को अलग रखा गया है।

बीए की पढ़ाई के लिए एक ही प्रवेश परीक्षा देनी होगी।

कक्षा 5वीं तक की पढ़ाई मातृभाषा/क्षेत्रीय भाषा में होगी।

4 हिस्सों में बंटेगा नया शैक्षणिक ढांचा।

शिक्षा पर जीडीपी का 1.57 फीसद बढ़ोतरी के​ साथ कुल 6 फीसदी होगा खर्च।

सभी विषयों की किताबें अब भारतीय भाषाओं में भी होंगी उपलब्ध।

बता दें कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को इसरो के पूर्व अध्यक्ष डॉ. के कस्तूरीरंगन की कमेटी द्वारा तैयार किया गया है। इस शिक्षा नीति का उद्देश्य स्टूडेंट्स का समग्र विकास करना है। वहीं शिक्षा में अब तकनीक का प्रयोग अधिकाधिक रूप में किया जाएगा। नियमों में सरकारी-प्राइवेट के भेदभाव को खत्म कर उन्हें सरल बनाया जाएगा। कुल मिलाकर शिक्षा को रोजगारोन्मुखी बनाया जाएगा।

नई शिक्षा नीति में 5-3-3-4 के आधार पर तैयार होगा ढांचा :

इसके पहले 5 साल बच्चे के फाउंडेशन के होंगे।
अगले 3 साल प्राथमिक शिक्षा के रहेंगे।
इसके बाद 3 साल माध्यमिक ​शिक्षा के होंगे और
अगले 4 साल सेकेंडरी स्टेज के रहेंगे।

फाउंडेशन :

प्रथम 5 वर्ष में नर्सरी, केजी और अपर-केजी होंगे। जिसमें 3 साल प्री-स्कूलिंग के लिए और उसके बाद 2 साल पहली और दूसरी कक्षा के लिए निर्धारित किए गए हैं। इसमें 7 वर्ष तक के बच्चों को शामिल किया जाएगा। इन पांच सालों के लिए एनसीईआरटी विशेष पाठ्यमक्रम तैयार करेगा।

प्राथमिक :

ये 3 वर्ष ​के लिए होगा। जिसमें तीसरी, चौथी व पांचवीं कक्षा को शामिल किया गया है। इसमें बच्चों की प्रयोगात्मक शिक्षा पर जोर दिया जाएगा। जिसमें विज्ञान, गणित और कला विषय खासतौर पर रखे गए हैं। इसमें 8 से लेकर 11 वर्ष तक के बच्चों को शामिल किया जाएगा।

माध्यमिक :

ये भी 3 साल के लिए होगा। इसमें छठीं, सातवीं और आठवीं कक्षा को शामिल किया गया है। इस स्टेज से बच्चों को कोडिंग की शिक्षा शुरू कर दी जाएगी। इसमें 11 से लेकर 14 वर्ष के बच्चों को रखा जाएगा।

सेकेंडरी :

ये 4 साल के लिए है। इसमें कक्षा 9 से लेकर कक्षा 12 को शामिल किया गया है। यहां स्टूडेंट्स को कम पाठ्यक्रम के साथ मनपसंद विषय चुनने की आजादी मिलेगी। वहीं बोर्ड परीक्षाओं को और भी ज्ञानवर्धक बनाया जाएगा।

सरकारी-निजी संस्थानों के लिए एक नियम :

कॉलेजों की ग्रेडिंग के लिए एक राज्य स्तरीय तंत्र बनाया जाएगा। यही तंत्र कॉलेजों को दी जाने वाली स्वायत्तता को निर्धारित करेगा। सरकारी और निजी उच्च शिक्षण संस्थानों के लिए एक नियम लागू होंगे। इनमें विधि और मेडिकल को अलग रखा गया है। इसके अलावा सभी कॉलेज और यूनिवर्सिटी में एडमिशन के लिए एनईए राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी द्वारा एग्जाम कराया जाएगा।

Share

About Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *