Scam 2021. भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से Central Government Health Scheme के अंतर्गत संचालित CGHS अस्पतालों अथवा डिस्पेंसरियों में डॉक्टरों की ओर से करोड़ों का घपला सामने आया है। पहली बार में देखने पर ऐसा नहीं लगा, लेकिन जब इसका आंकलन किया गया तो यह राशि करीब 100 करोड़ से भी अधिक की निकली। जिसे देख खुद अधिकारियों के ही हाथ पैर फूल गए और तुरंत प्रभाव से इस स्कीम के नियमों में बदलाव करते हुए डॉक्टरों को आंख बंद कर किए जा रहे भुगतान पर रोक लगानी पड़ी।
ये पूरा खुलासा एक आरटीआई के जरिए सामने आया। जयपुर के मानसरोवर निवासी आरटीआई एक्टिविस्ट रामावतार गुप्ता ने साल 2009 में एक आरटीआई लगाई। जिसके अंतर्गत कुछ सूचनाएं मांगी गई थी। जब इनके जवाब मिले तो वह चौंकाने वाले थे। इसके बाद गुप्ता ने एक के बाद एक कई आरटीआई लगाईं और साल 2020 के अंत में सरकार ने इस पर कार्रवाई करते हुए नियमों में बदलाव के निर्देश दिए।
यहां से शुरू होता है घोटाला :
इस स्कीम के तहत आने वाली डिस्पेंसरीज में कार्यरत डॉक्टर्स को मरीज के कॉल पर उसे घर पर देखने और प्राथमिक उपचार के लिए जाना अनिवार्य होता है। इसके लिए डॉक्टर्स को तनख्वाह के अलावा एक निश्चित भुगतान किया जाता था। ऐसे में डॉक्टर्स हरेक महीने मिलने वाले अतिरिक्त भुगतान को फर्जी एंट्री कर उठा लेते थे। चूंकि इस एंट्री का विभाग को कोई लेखा नहीं देना पड़ता था और न ही मरीज की कोई डिटेल।
ये होता था भुगतान :
भोपाल की एक यूनिट में इस हिसाब से डॉक्टरों की ओर से उठाया गया भुगतान, इसमें विजिट के दौरान मरीज की कोई भी जानकारी सबमिट नहीं की है।
आदेश के बाद भी नहीं रुका ये खेल :
जब ये मामला सरकार के संज्ञान आया तो इसको लेकर नियमों में कई बदलाव किए गए, लेकिन हैरानी की बात है कि इन नियमों को CGHS के तहत लागू नहीं किया गया और लूट इसी तरह से जारी रही। इस बात का खुलासा भी गुप्ता ने एक आरटीआई के माध्यम से लगाया। आरटीआई से प्राप्त जानकारी के अनुसार नए नियम साल 2017 में जारी किए गए थे, जिन्हें विभाग ने लागू नहीं किया।
ये है यात्रा भत्ता की राशि :
साल 2017 के बाद यात्रा भत्ता राशि में बदलाव किया गया। साथ ही विजिट पर जाने वाले डॉक्टर को मरीज की पूरी डिटेल रखने का भी प्रावधान किया गया था।
इस हिसाब से 1 अस्पताल में होने वाला भुगतान :
अंत में ये हुआ फैसला :
आखिर में ये मामला सरकार के संज्ञान में आया तो सरकार ने तुरंत प्रभाव से 21 दिसंबर 2020 को आदेश दिए जिसके अंतर्गत डॉक्टर्स को किए जाने वाले भुगतान पर जानकारी सबमिट नहीं करवाने तक रोक लगा दी है।
अब आगे क्या?
एक्टिविस्ट रामावतार गुप्ता का कहना है कि अब सरकार नए नियमों के आधार 1 जुलाई 2017 से लेकर 22 दिसंबर 2020 से पहले तक उठाए इस करोड़ों के भुगतान की राशि को वापस ले।
क्या है CGHS :
यह एक स्वास्थ्य योजना है। जो भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर संचालित है। इस योजना को 1954 में शुरू किया गया था। इसका उद्देश्य केन्द्र सरकार के कर्मचारियों, पेंशनकर्मियों एवं उनके आश्रितों के अलावा हाइकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज, एमपी को सम्पूर्ण स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराना है। इस योजना के तहत आने वाले लोगों का इलाज सरकारी अस्पतालों के ऐलोपैथिक, होम्योपैथिक और भारतीय चिकित्सा प्रणाली के द्वारा किया जाता है। हालांकि अब इसके तहत निजी अस्पतालों को भी शामिल किया जाने लगा है।
यहां देखें अस्पतालों की सूची :
इस योजना के अंतर्गत आने वाले शहरों की सूची आप सरकार की इस ऑफिशियल वेबसाइट https://cghs.gov.in/ पर देख सकते हैं।