सामान्य गेहूं के बारे में सभी अच्छे से जानते हैं, लेकिन काले गेहूं के बारे में बहुत कम लोग होंगे जो इसके बारे में जानते होंगे। इस काले गेहूं की कीमत और खासियत सुनकर आप भी दंग रह जाएंगे। बता दें कि पिछले कुछ सालों में देश के भीतर भी काले गेहूं की चर्चा सुनने को मिली है। आपको याद होगा करीब दो साल पहले पंजाब के मोहाली में पहली बार गेहूं की इस फसल के बारे में सुना गया था। हाल में मध्यप्रदेश के धार जिले के एक किसान ने इसे उगाया तो ये फिर से चर्चा में आ गया। बताया जा रहा है कि धार जिले के इस किसान के पास अब देशभर से लोग इसकी मांग कर रहे हैं।
ये खासियत बताई जाती है :
सफेद या सामान्य गेहूं के मुकाबले काले गेहूं कि अंदर करीब 60 प्रतिशत अधिक आयरन की मात्रा पाई जाती है। जबकि अन्य प्रोटीन, पोषक तत्व एवं स्टार्च की मात्रा सामान्य गेहूं के बराबर ही होती है। भारत में इसकी खेती न के बराबर होती है। इसीलिए इसके आटे की कीमत करीब 2 हजार से 4 हजार रुपए प्रति किलो तक है। कई ई-कॉमर्स कंपनियों के माध्यम से इसे प्राप्त किया जा सकता है।
इन बीमारियों से बचाता है!
काले गेहूं Black Wheat के बारे में कहा गया है कि यह गेहूं कैंसर जैसी बीमारी के अलावा डायबिटीज, तनाव और दिल की बीमारियों की रोकथाम करने में सक्षम है। साथ ही यह मोटापे जैसी बीमारी की रोकथाम करने की क्षमता भी रखता है। हालांकि इसको लेकर नाबी की साइंटिस्ट और काले गेहूं की प्रोजेक्ट हेड डॉ. मोनिका गर्ग का कहना है कि चूहों पर किए गए प्रयोग में पाया कि इसके सेवन से ब्लड कॉलेस्टॉल के साथ शुगर में कमी देखी गई। साथ ही वजन भी कम हुआ। लेकिन ये प्रभाव इंसानों पर कितने कारगर साबित होंगे, फिलहाल ये देखने वाली बात होगी।
इस वजह से होता है काला :
पंजाब के मोहाली स्थित नेशनल एग्री फूड बायोटेक्नोलॉजी इंस्टिट्यूट NABI ने करीब दो साल पहले इस किस्म को भारत में विकसित किया था। नाबी के अनुसार उन्हें इसमें करीब 7 साल का समय लगा। उनके पास इसका पेटेंट भी है। नाबी की साइंटिस्ट और काले गेहूं की प्रोजेक्ट हेड डॉ. मोनिका गर्ग के अनुसार जिस तरह से फल एवं सब्जियों का रंग उनमें मौजूद पिगमेंट यानि रंजक कणों की मात्रा पर निर्भर करता है। ठीक वैसे ही काले गेहूं के अंदर एंथोसाएनिन नाम का पिगमेंट होता है। ये एक नेचुरल एंटीऑक्सीडेंट होता है। इसकी मात्रा काले गेहूं में 100 से 200 पीपीएम तक होती है जबकि सामान्य गेहूं के भीतर यह महज 5 पीपीएम ही होती है। गर्ग ने बताया कि नाबी ने नीले एवं जामुनी रंग के गेहूं की किस्म भी विकसित कर ली है।