भारत ने चीन के खिलाफ अब ई-स्ट्राइक की शुरुआत की है। जो कि एयर स्ट्राइक से भी खतरनाक है। इसका पहला नमूना चीन ने सोमवार को देख लिया होगा। लेकिन इस ई-स्ट्राइक का दूसरा नमूना इतना घातक होगा कि चीन शायद ही इसे झेल पाए। जी हां, चीनी मोबाइल ऐप पर प्रतिबंध के बाद अब ई-कॉमर्स कंपनियों से भी चीनी सामान का भारत से जल्द सफाया होने वाला है। इसके लिए सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका भी दायर हो चुकी है।
इस याचिका में कहा गया है कि देश में सामान बेचने वाली सभी ई-कॉमर्स कंपनियों को उपलब्ध सामान के साथ, उसे बनाने वाले देश की जानकारी देने के लिए बाध्य किया जाए। ताकि इससे पता चल सके कि भारत में वह किस देश का कौनसा सामान सेल कर रही है। याचिकाकर्ता की दलील है कि भारत की जनता चीन में निर्मित सामान का बहिष्कार करना चाहती है।
लेकिन ई-कॉमर्स कंपनियों के माध्यम से खरीदे जाने वाले सामान का कई बार पता नहीं कर पाती कि वह स्वदेशी है अथवा विदेशी। इसलिए याचिकाकर्ता की मांग है कि कोर्ट सरकार को यह निर्देश दे कि कोई भी ई-कॉमर्स कंपनी खरीददार को खरीदे गए सामान के निर्माता देश की जानकारी उपलब्ध कराए। साथ ही यह जानकारी लोगों को स्पष्ट रूप से दिखाई पड़े।
इन्होंने लगाई है याचिका :
बता दें कि ये याचिका सुप्रीम कोर्ट के ही एक वकील दिव्य ज्योति सिंह ने लगाई है। एडवोकेट दिव्य सुप्रीम कोर्ट में ही वकालत करते हैं। उनका कहना है कि आज देश का हर नागरिक भारत में बने हुए सामान को अपनाना चाहता है न कि चीन में बने सामान को। खुद प्रधानमंत्री देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए स्वेदशी का प्रयोग करने की अपील कर चुके हैं। लेकिन ये तभी मुमकिन होगा जब देश की जनता को यह चल पाएगा कि वह जो सामान खरीदने जा रहे हैं, वो किस देश में बना है?
ये कर सकती है सरकार :
याचिका में दो तरह के सुझाव दिए गए हैं। जिनमें पहला है कि सरकार इस संबंध में नया कानून लेकर आ सकती है। या फिर दूसरा उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 2 (9) में बदलाव कर सकती है। इसमें सरकार सामान बनाने वाले देश की जानकारी हासिल करने को उपभोक्ता के अधिकार के तौर पर जोड़ सकती है।