डीसीजीआई के चुने हुए 12 पीजीआई सेंटर्स में रोहतक का भी नाम..
कोरोना महामारी के बीच देश की जनता को जल्द ही एक बड़ी खुशखबरी मिल सकती है। जी हां, ‘कोवाक्सिन’ नाम की वैक्सीन को दवा नियामक डीसीजीआई DCGI से अब मानव ट्रायल की मंजूरी मिल चुकी है। यदि सब कुछ ठीक रहा तो भारत दुनिया में कोरोना की वैक्सीन बनाने वाला पहला देश बन जाएगा। हालांकि भारत से पहले कई देश कोरोना की वैक्सीन बनाने का दावा कर चुके हैं, लेकिन उन्हें अभी तक इसमें पूरी तरह से सफलता हासिल नहीं हो पाई है।
बता दें कि हाल ही में डीसीजीआई की ओर से देश के 12 पीजीआई सेंटर्स को इस वैक्सीन Vaccine के परीक्षण के लिए चुना गया है। जिनमें हरियाणा का रोहतक पीजीआईएमएस भी शामिल है। अब इन 12 पीजीआई सेंटर्स में मनुष्यों पर ट्रायल किए जाने शेष हैं। ये ट्रायल दो चरणों में होंगे। इसके पहले चरण में 375 और दूसरे चरण में 750 वॉलेंटियर पर इसका परीक्षण किया जाएगा। मिली जानकारी के अनुसार इसका पहला परीक्षण इसी माह यानि जुलाई के शुरुआत में ही शुरू कर दिया जाएगा।
रोहतक में इनकी देखरेख में होगा ट्रायल :
पीजीआईएमएस PGIMS की फार्माकोलॉजी विभाग की प्रोफेसर डॉ. सविता वर्मा के अनुसार कोरोना से बचाव के लिए बने इस टीके को पीजीआईएमएस में पहले ट्रायल के तौर पर प्रयोग किया जाएगा। इसके लिए डॉ. सविता वर्मा को इस जांच के लिए प्रिंसिपल इंवेस्टिगेटर की जिम्मेदारी सौंपी गई है। वहीं डॉ. ध्रुव चौधरी एवं कम्युनिटी विभाग के डॉ. रमेश वर्मा को को-इंवेस्टिगेटर बनाया गया है।
इन्होंने तैयार की वैक्सीन :
इस वैक्सीन को हैदराबाद की एक फार्मा कंपनी भारत बायोटेक ने आईसीएमआर ICMR (इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च) एवं आईओवी IOV (नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी) पुणे के साथ मिलकर तैयार किया गया है। प्राप्त जानकारी के अनुसार अभी तक के इस वैक्सीन के प्री-क्लीनिकल परीक्षण कामयाब रहे हैं। अब इंसानों पर इसके प्रभाव को देखना बाकी है।
ऐसे बन सकते हैं ट्रायल का हिस्सा :
डॉ. रमेश ने बताया कि वैक्सीन का प्रतिरक्षण स्वस्थ वॉलेंटियर में प्रयोग करने के लिए संस्थागत नैतिक समिति से नैतिक मंजूरी ली गई है। कोई भी इच्छुक व्यक्ति पीजीआईएमएस की कोविड हेल्पलाइन 9416447071 पर फोन करके इस ट्रायल का हिस्सा बन सकता है। इसके लिए उन्हें पहले रजिस्ट्रेशन करवाना होगा है। वहीं डॉ. ध्रुव चौधरी ने बताया कि जिन वॉलेंटियर को यह वैक्सीन दी जाएगी। उनमें इसके कम या ज्यादा होने वाले प्रभाव और दुष्प्रभावों पर लगातार नजर रखी जाएगी, जिसकी रिपोर्ट केंद्र सरकार को भेजी जाएगी।