– ये हैं वो 3 किसान विरोधी अध्यादेश जो सरकार लेकर आई है।
देश में एक तरफ बेरोजगार युवा और दूसरी तरह लाचार किसानों पर सरकार ने अब दमनकारी नीतियों का प्रयोग शुरू कर दिया है। युवाओं ने रोजगार मांगा तो भोपाल में किस तरह से पुलिस ने लाठियां भांजी। वहीं कल किसानों ने अपने हक की आवाज उठाई तो हरियाणा के कुरुक्षेत्र में उन पर भी जमकर लाठियां बरसाई गईं। क्या मौजूदा सरकार का सत्ता से पेट भर गया है? बड़े ही दु:ख की बात है कि किसानों के लिए प्रदेश के मुखिया ने एक ट्वीट तक नहीं किया।
क्या है पूरा मामला :
मोदी सरकार किसानों की आय को दोगुना करना चाहती है। इसके लिए सरकार किसानों के साथ ही कूटनीतिक चाल चल रही है। सरकार ने पिछले कई साल से खेती-किसानी से जुड़े कुछ नियम-कानूनों में बदलाव का मन बनाया हुआ था। मगर इन्हें लागू करने के लिए उचित समय का इंतजार था, जो कि कोरोना महामारी ने सरकार को दे दिया। सरकार कोरोना काल में 3 अध्यादेश लेकर आई। मगर किसानों का मानना है कि ये अध्यादेश उनके हित में नहीं हैं।
इसी को लेकर किसान अपनी आवाज सरकार तक पहुंचाना चाहते थे। भारतीय किसान संघ एवं अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति से जुड़े सभी किसान संगठनों ने किसान ‘बचाओ, मंडी बचाओ’ रैली का आह्वान किया था। जिसके लिए किसान हरियाणा के कुरुक्षेत्र में एकत्रित होना शुरू हो गए। ऐसे में प्रशासन ने पहले ही धारा 144 लगाते हुए किसानों को जगह जगह पर नाकाबंदी करते हुए रोकना शुरू कर दिया।
इसी दौरान कई जगह पुलिस और किसानों के बीच झड़पें भी हुईं। मगर पुलिस की ओर से किए गए लाठीचार्ज में बुजुर्ग किसानों को भी नहीं बख्सा गया। इन लाठीचार्ज में कई किसान गंभीर रूप से घायल हो गए। इस संबंध में प्रशासन का कहना है कि किसानों को रोकने के लिए लाठीचार्ज किया गया। इस घटना को लेकर किसान नेता और अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के संयोजक सरदार वीएम सिंह ने कहा कि—
‘मोदी सरकार कोरोना के समय अध्यादेश लाने में तो नहीं घबराई, लेकिन किसानों की रैली से घबरा गई। किसानों पर हुए लाठीचार्ज की हम निंदा करते हैं। देशभर के किसान संगठन एक हैं, उन पर लाठीचार्ज कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।’
ये हैं वो 3 अध्यादेश :
केंद्र की मोदी सरकार ने आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 में संशोधन करते हुए अब खाद्य पदार्थों की जमाखोरी पर लगा प्रतिबंध हटा दिया है।
इसके अलावा सरकार ने एक नया कानून कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य अध्यादेश, 2020 पेश किया है। इसका सीधा सा मतलब है कि कृषि उपज मंडियों के अलावा बाहर भी कृषि उपज-उत्पादों का बेचा एवं खरीदा जा सकेगा।
इसके अलावा सबसे खूंखार कानून मूल्य आश्वासन पर किसान समझौता और कृषि सेवा अध्यादेश,2020 को भी पारित किया गया है। इसका मतलब है कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग को कानूनी वैधता प्रदान करना। यानि अब किसान की जमीन को बड़े बिजनेस वालों के हाथों सालों साल कॉन्ट्रेक्ट पर चढ़ाया जा सके।