– दहशत के वो खतरनाक 8 घंटे..
आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम की एलजी पॉलिमर्स नाम की कंपनी से लीक हुई गैस ने 2 मासूम समेत अब तक 10 लोगों की जान ले ली है। वहीं हजारों लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। यह घटना सुबह 2.30 के बाद और 4 बजे से पहले की बताई जा रही है। ये वो वक्त था जब लोग अपने घरों में सो रहे थे। अचानक शुरू हुए इस गैस के रिसाव ने धीरे-धीरे करके करीब 4 से 5 किमी के एरिया को अपने दायरे में ले लिया। मंजर ऐसा हो गया कि सुबह लोग चलते-चलते दुपहिया वाहनों से गिर गए। पैदल चलते हुए लोग अचानक गस खाकर गिर रहे थे। इसे देख लोग दहशत में आ गए।
नगर निगम कमिश्नर ने बताया :
सुबह करीब 10 बजे के लगभग गैस के रिसाव पर काबू पाया गया। लेकिन तब सैकड़ों लोग वेंटीलेटर तक पहुंच चुके थे। विशाखापट्टनम नगर निगम के कमिश्नर श्रीजना गुम्मल्ला ने बताया कि यहां पीवीसी यानि स्टाइरीन गैस का रिसाव हुआ है। यह रिसाब सुबह 2.30 बजे के लगभग शुरू हुआ। इसकी चपेट में आए सैकड़ों लोगों में कुछ बेहोश भी हो गए। सीरियस लोगों को ऑक्सीजन देने का काम किया जा रहा है। कई ला्ेगों को सांस लेने में दिक्कत के साथ आंखों में जलन की शिकायतें भी मिल रही है। कंपनी पर एफआईआर दर्ज कर ली गई है।
मोदी कर रहे मॉनिटरिंग :
हालांकि अभी गैस लीक होने के पुख्ता कारणों का पता नहीं चल पाया है। लेकिन लोगों की मदद के लिए एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें लगाई गई हैं। आसपास के 3 किमी के भीतर के एरिया को खाली करवाया जा रहा है। लोगों को घरों से निकलकर सुरक्षित स्थान पर जाने की अपील भी की जा रही है। वहीं प्रधानमंत्री मोदी खुद इस पर सुबह सीएम सहित एक उच्चस्तरीय अधिकारियों की मीटिंग ले चुके हैं। और स्वयं इसकी मॉनिटरिंग भी कर रहे हैं। साथ ही गृहमंत्री भी अपनी नजर बनाए हुए हैं।
क्या है स्टाइरीन गैस :
विशाखापट्टनम में जो गैस लीक हुई है उसका नाम पीवीसी यानि स्टाइरीन गैस है। यह पानी की तरह बिना रंग वाला एक लिक्विड होता है, जो आॅर्गनिक सॉल्वेंट बेंजीन से बनता है। और इससे जो गैस निकलती है वह दम घोंटने वाली होती है। शरीर में जाने के बाद इसका असर 10 मिनट के बाद देखने को मिलता है। इस गैस का ज्यादातर इस्तेमाल प्लास्टिक, रबर, फाइबर ग्लास एवं पाइप बनाने में किया जाता है।
59 साल पुरानी है कंपनी :
कंपनी की स्थापना 1961 में की गई थी। उस समय इसका नाम हिंदुस्तान पॉलिमर्स था। 1978 में ही यूबी ग्रुप में विलय के बाद इसका नाम बदलकर एलजी पॉजिमर्स कर दिया गया। बता दें कि कंपनी पॉलिस्टाइरेने और इसके कॉ-पॉलिमर्स का निर्माण करती है। वर्तमान में यह आरआर वेंकटपुरम गांव में स्थित है।
भोपाल त्रासदी का वो मंजर :
विशाखापट्टनम में हुई इस गैस त्रासदी ने करीब 36 साल पहले हुई भोपाल गैस त्रासदी की याद दिला दी। जिसे सुनकर आज भी लोगों की रूह कांप उठती है। 3 दिसंबर 1984 को हुए इस रिसाव ने देश ही नहीं बल्कि दुनिया को हिलाकर रख दिया था। उस वक्त यहां करीब 15 हजार लोगों की मौत मिक गैस के रिसाव से हुई थी। बता दें कि ये गैस चंद सेकंडों में अपना असर दिखाना शुरू कर देती है। आज भी लोग इसके कहर को न तो भूल पाए हैं और न ही पूरी तरह से उभर पाए हैं।