- सरकार और किसान संगठनों के बीच क्या-क्या बातें हुई, जानें
Farmers Protest: कृषि कानूनों पर सरकार के साथ आठवें दौर की चर्चा के लिए सिंघु बॉर्डर से किसान नेता करीब 12 बजे विज्ञान भवन के लिए रवाना हो गए। किसान संगठनों के नेता मीटिंग से ठीक आधा घंटे पहले विज्ञान भवन पहुंच गए थे। बता दें कि किसान नेताओं और सरकार के बीच बैठक का समय दो बजे का निर्धारित किया गया था। इस बैठक में सरकार की तरफ से केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, रेल मंत्री पीयूष गोयल और वाणिज्य मंत्री सोम प्रकाश चर्चा का नेतृत्व कर रहे हैं।
घंटेभर तक इंतजार करते रहे किसान :
किसान नेताओं के साथ होने वाली इस मीटिंग से पहले कृषि मंत्री तोमर और रेल मंत्री पीयूष गोयल गृहमंत्री अमित शाह से मिलने चले गए। इधर किसान नेता विज्ञान भवन में मंत्रियों का इंतजार कर रहे थे। तय समय से आधे घंटे बाद सरकार के प्रतिनिधि ढ़ाई बजे विज्ञान भवन पहुंचे। ऐसे में किसानों को करीब 1 घंटे से भी ज्यादा का इंतजार करना पड़ा।
सरकार ने कह दी ये बात :
किसान नेता और सरकार के बीच आठवें दौर की वार्ता शुरू हुई। जिसमें सरकार की तरफ से वही पुराने राग अलापे गए। ऐसे में किसान भी अपनी बिल वापसी की जिद पर अड़ गए। अंत में करीब साढ़े 4 बजे सरकार कर तरफ से कहा गया कि कानून वापस नहीं ले सकते, क्योंकि देश के कई किसान इसके समर्थन में हैं। ऐसे में किसान नेता और सरकार के बीच तल्खी बढ़ने लगी तो सरकार ने लंच ब्रेक का आग्रह किया। इस पर किसान नेताओं ने कहा कि न रोटी खाएंगे न चाय पिएंगे।
इसके बाद सरकार के मंत्री हॉल से बाहर निकलकर आ गए और करीब आधे घंटे तक बाहर ही आपस में चर्चा करते रहे। इस दौरान सभी किसान नेता हॉल में बैठे रहे। शाम को करीब सवा 5 बजे बातचीत को बंद कर दिया गया और 15 जनवरी को फिर से बातचीत की तारीख तय की गई।
किसान नेताओं की दो टूक :
इसके बाद किसान संगठनों से मीडिया से बात करते हुए कहा कि वह अपनी लड़ाई जारी रखेंगे। ऑल इंडिया किसान सभा के महासचिव हनन मोल्लाह ने कहा कि तीखी बहस हुई, वह कानून वापसी के अलावा और कुछ नहीं चाहते। साथ ही उन्होंने साफ किया कि इसके लिए वह किसी अदालत में भी नहीं जाएंगे। इधर किसान नेता राकेश टिकैत ने भी कहा कि कानून वापस नहीं लिए गए तो 26 जनवरी को योजना के अनुसार दिल्ली में परेड करेंगे।