– आखिर लॉन्चिंग के दिन ही विवादों के घेरे में क्यों आई दवा..
राजस्थान की राजधानी जयपुर में बाबा रामदेव, आचार्य बालकृष्ण और डॉ. बीएस तोमर के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई गई है। बता दें कि मंगलवार को जयपुर के गांधी नगर थाने में आरटीआई कार्यकर्ता डॉ. संजीव गुप्ता ने ये परिवाद दर्ज करवाया है। ये परिवाद बाबा रामदेव की ओर से लॉन्च की गई कोरोना की दवा को लेकर करवाया गया है। जिसमें वादी ने बाबा रामदेव की लॉन्चिंग प्रक्रिया को पूरी तरह से गलत बताते हुए लोगों के जीवन के साथ खिलवाड़ बताया है।
भारतीय दवा कंपनी ग्लेनमार्क फार्मास्युटिकल्स मुंबई ने शनिवार को ही कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज के लिए एक एंटीवायरल दवा फेविपिराविर की ‘फैबिफ्लू’ को लॉन्च किया था।
इसके 3 दिन बाद ही बाबा रामदेव ने कल मंगलवार को पतंजलि की ओर से बनाई गई कोरोना की दवा ‘कोरोनिल’ को लॉन्च कर दिया। इस दवा को ‘पतंजलि रिसर्च इंस्टीट्यूट हरिद्वार’ और ‘नेशनल इंस्टीट्यूट मेडिकल साइंस निम्स यूनिवर्सिटी जयपुर’ ने मिलकर तैयार किया है। इसके तहत उन्होंने ‘कोरोनिल टैबलेट’ और ‘श्वासारि वटी’ नाम की दो दवाएं पेश की हैं। लेकिन लॉन्च करते ही यह दवा सवालों के घेरे में आ गई है। वहीं इसको लेकर उन पर एफआईआर तक दर्ज करवाई जा चुकी है।
आयुष मंत्रालय रिसर्च से बेखबर :
बाबा रामदेव की कोरोनिल को लेकर आयुष मंत्रालय ने साफतौर पर पल्ला झाड़ लिया है। मंत्रालय ने यहां तक कह दिया है कि कंपनी की ओर से जो दावा किया गया है उसके फैक्ट और स्टड़ी को लेकर मंत्रालय के पास किसी तरह की कोई जानकारी नहीं है। जबकि बाबा रामदेव कई टीवी डिबेट्स में कह रहे हैं कि उन्होंने मंजूरी लेकर ही ट्रायल किया है।
7 दिन में कोरोना से निजात का दावा :
इधर दवाई को लेकर बाबा रामदेव का दावा है कि दवाओं के ट्रायल के दौरान तीन दिन के अंदर ही 69 पर्सेंट रोगी नेगेटिव हो गए। वहीं इस दवा को लेकर उन्होंने एक और बड़ा दावा करते हुए कहा कि इस दवा ने कोरोना के मरीजों को 7 दिन में सौ फीसदी ठीक कर दिया। वहीं इसकी कीमत भी काफी कम रखी गई है। इसको लेकर बाबा का तर्क है उनका मकसद व्यापार करना नहीं बल्कि लोगों को स्वस्थ करना है।