कोरोना महामारी के बीच जहां एक ओर कोरोना के मरीजों का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है तो वहीं दूसरी तरफ ये इस तरह की खबरें मन को तसल्ली देने वाली हो सकती हैं। हालांकि ये बात और है कि स्वास्थ्य मानकों एवं देश की आबादी के मामले में ये बात फिट नहीं बैठती। मगर सरकार ने देश में बनाए गए वेंटिलेटर्स के निर्यात को अब मंजूरी दे दी है। ज्ञात रहे विगत 24 मार्च को सरकार ने कोरोना के डर से वेंटिलेटर्स के निर्यात पर रोक लगा दी थी। सरकार को डर था कि कोरोना महामारी के कारण देश में कहीं वेंटिलेटर कम न पड़ जाएं। मगर अब इस रोक को हटा दिया गया है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन का तर्क है कि देश में कोरोना की मृत्यु दर 2.15 फीसद ही है।
इसे और कम करने की कोशिश की जा रही है। ऐसे में उनका ये भी कहना है कि कोरोना मरीजों के इलाज में वेंटिलेंटर्स की जरूरत बहुत कम देखी जा रही है। 31 जुलाई तक ये आंकड़ा महज 0.22 प्रतिशत का ही था यानि 0.22 प्रतिशत कोरोना मरीजों के इलाज में ही वेंटिलेटर का उपयोग किया जा रहा था। बता दें कि एसोसिएशन ऑफ इंडियन मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री AIMED की ओर से केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को एक पत्र लिखा गया था। जिसमें उन्होंने अगस्त माह में वेंटिलेटर के निर्यात से रोक हटाने की मांग की थी।
इसके पीछे AIMED का तर्क था कि जुलाई के आखिर तक देश में वेंटिलेटर्स की भरमार हो जाएगी चूंकि वंटिलेटर बनाने का काम लगातार जारी है और देश में उसके हिसाब से मांग है नहीं। वहीं पिछले 2 महीनों से सरकारी खरीद भी बंद है। ऐसे में सरकार को चाहिए कि वह निर्यात पर लगी पाबंदी को वापस ले ले। इस संबंध में मंत्री पीयूष गोयल ने भी वेंटिलेटर के मामले में देश के आत्मनिर्भर होने को लेकर एक ट्वीट किया है।