– जब रतन टाटा अपने प्लांट में बनने वाली ऑक्सीजन अस्पतालों को दे सकते हैं तो अन्य स्टील व्यवसायी क्यों नहीं?
oxygen cylinder. देश में दिनोंदिन बेकाबू होती जा रही कोरोना की दूसरी लहर ने न्यायपालिका को भी सोचने पर मजबूर कर दिया है। वर्तमान में देश ऑक्सीजन और बेड दोनों ही समस्याओं ने जूझ रहा है। हॉस्पीटल्स में मरीजों के परिजन ऑक्सीजन की भीख मांगते फिर रहे हैं। ऐसे में सरकार को कठोर कदम उठाने की आवश्यकता है, लेकिन दिल्ली उच्च न्यायालय की इस टिप्पणी से तो ऐसा लगता है कि सरकार वर्तमान के इन हालातों से वाकिफ ही नहीं है। कोर्ट ने कहा कि आखिर सरकार देश की सच्चाई और स्थिति की गंभीरता को स्वीकार क्यों नहीं कर रही है।
सरकार से सख्त लहजे में कहा –
गुरुवार को दिल्ली उच्च न्यायालय ने मैक्स अस्पताल की याचिका पर सख्त रुख अपनाते हुए केंद्र सरकार से कहा कि हम अचंभित और हैरान हैं कि देश के भीतर स्टील प्लांट धडल्ले से चल रहे हैं और हॉस्पीटल्स में ऑक्सीजन नहीं हैं। कोर्ट ने सरकार से कहा कि अस्पतालों में मरीज रोज मर रहे हैं फिर भी आपको स्टील प्लांटों का परिचालन जरूरी लगता है! अंत में कोर्ट ने कहा कि कुछ भी करिए, लेकिन अस्पतालों में ऑक्सीजन की आपूर्ति बाधित नहीं होनी चाहिए।
टाटा ने प्लांट की ऑक्सीजन अस्पताल को दी
न्यायालय ने कहा कि जब देश के व्यवसायी रतन टाटा अपने प्लांट में बनने वाली ऑक्सीजन देश के अस्पतालों में मरीजों की जान बचाने के लिए दे सकते हैं। तो दूसरे उद्योगपति ऐसा क्यों नहीं कर सकते हैं? कोर्ट ने आगे कहा कि ये लालच की पराकाष्ठा है। उद्योग इस संकट की घड़ी में अपनी ऑक्सीजन की आपूर्ति सरकार को दें। साथ ही जस्टिस रेखा पल्ली और विपिन सांघी की पीठ ने केंद्र को अस्पतालों में जल्द ऑक्सीजन की आपूर्ति करने और उनके तरीकों पर विचार करने को कहा है।