प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने छात्रों की होने वाली बोर्ड परीक्षा से पहले ‘परीक्षा पे चर्चा’ के माध्यम से छात्रों में होने वाले स्ट्रेस से उवरने के लिए सोमवार को सटीक टिप्स दिए। उन्होंने सवालों का जबाव देते हुए देश के करोड़ों बच्चों के मन की शंकाओं को दूर किया और उन्हें भविष्य का लीडर बताते हुए मोटिवेट किया। इस चर्चा से जुडी खास बातें जो प्रधानमंत्री मोदी ने बच्चों के साथ शेयर कीं। आइए जानते हैं..
तकनीक को जिंदगी का हिस्सा बनाएं परंतु उसका गुलाम न बनें।
घर में एक कमरा इस प्रकार स्थापित करें कि वह पूरी तरह से टेक्नोलॉजी से मुक्त हो।
भारत के बच्चे बचपन से ही पॉलिटीशियन होते हैं।
सुबह उठकर पढ़ाई करना अच्छा रहता है।
आज के बच्चे आने वाले समय के लीडर होंगे।
शिक्षक बच्चों की स्ट्रैंथ को पहचानने का प्रयत्न करें उसी के अनुसार उनके साथ व्यवहार करें।
माता—पिता को बच्चों की रूचि के बारे में जानना चाहिए। किसी भी तरह की एक्टिविटी बच्चों पर थोपें नहीं।
घर पर ऐसे परिजनों के साथ बच्चों को साथ रहने का समय देवें जिनके साथ बच्चे सबसे ज्यादा सहज महसूस करते हों। जिनमें दादा—दादी, नाना—नानी भले कोई भी हो।
परीक्षा से पहले यदि आपको भी उत्तर भूलने की बीमारी है तो आप सबसे पहले सरल से शुरुआत करें। आप कंफर्ट जोन में आ जाएंगे। इसके लिए क्रिकेटर्स का उदाहरण देते हुए कहा कि मैदान पर बिना बॉल के बॉलर किस प्रकार बॉल फैंकने की प्रैक्टिस करते हैं। इस तरह वह अपने आप को सहज बनाते हैं।
बच्चों के कॅरियर एवं उनके अंदर छिपी हुई प्रतिभा को लेकर प्रधानमंत्री ने कहा कि खुद को जानना बड़ा कठिन काम होता है और इस तरह के सवाल भी बड़े गंभीर होते हैं।
लेकिन जानने का तरीका ये है कि जब आप अपने आपको कंफर्ट जोन से निकलकर कठिन कार्य की ओर बढ़ते हैं तो अपने आपको जानने का अवसर मिलता है। साथ ही अपनी स्ट्रैंथ का भी पता चलता है।
इसी दौरान आपको अपने टैलेंट और इंटरेस्ट के बारे में भी मालूम होता है। कॅरियर को लेकर कहा कि काम कोई भी हो बुरा नहीं होता और न ही छोटा होता है।
कॉम्पिटिशन और बोर्ड की परीक्षा में किस प्रकार से तैयारी करें इसके लेकर प्रधानमंत्री ने कहा किसी भी एग्जाम की सफलता की टेंशन से ज्यादा अपने एंबिशन की टेंशन रहती है।
अंत में यह कहते हुए अपनी चर्चा को विराम दिया कि —
परीक्षा जिंदगी नहीं है, परीक्षा एक मुकाम है।