चीन ने 5 जून को अपने नए कमांडर को कमान सौंपी थी। उसके बाद 6 जून से दोनों देशों के बीच गलवन घाटी और चुसुल इलाके में कई स्तर की बैठकें शुरू की गई। कयास लगाए जा रहे थे कि शायद अब से मसला बातचीत से हल हो जाएगा। इस बीच खबर ये भी आई कि दोनों देशों के सैनिक सीमा से पीछे हट गए हैं। लेकिन अचानक से ऐसा क्या हुआ कि बातचीत के दरम्यान ही सैनिकों के बीच इस तरह के हालात बन गए।
पहले से तय था :
चीन ने इस पूरे घटनाक्रम की रूप रेखा उसी समय बना ली थी। जब उसने अपने नए कमांडर शू किलियांग को तनावपूर्ण सीमा की कमान सौंपी थी। बता दें कि शू किलियांग इससे पहले ईस्टर्न कमांड में अपनी सेवाएं दे चुके हैं। इस दौरान वह पाकिस्तानी जनरल के साथ काफी बार देखे गए। खुफिया सूत्रों की मानें तो पाकिस्तान और चीन के मध्य नजदीकियां बढ़ाने में किलियांग की अहम भूमिका रही है। यही कारण है कि किलियांग पर राष्ट्रपति शी जिनपिंग पूरा भरोसा करते हैं।
पिछले कुछ सालों में भारत ने जब से पाकिस्तान को दुनिया के देशों के सामने कूटनीतिक रणनीति अपनाते हुए अलग-थलग किया है। तब से पाकिस्तान का पूरा झुकाव चीन की तरफ हो गया। ऐसे में चीन ने भी इसका पूरा फायदा उठाने का प्रयास किया है। इससे पहले भी चीन पाकिस्तान को कश्मीर के मुद्दे पर भारत के खिलाफ उकसाता रहा है। अब दोनों देश भारत को सीमा विवाद के चलते घेरने के नाकाम प्रयास में लगे हैं। चीन की हरकतों को देखकर लगता है कि वह भी पाकिस्तान की पॉलिसी के आधार पर चाल चलने की कोशिश कर रहा है।
ध्यान भटकाने का प्रयास :
चीन की इस कायराना हरकत के बाद पाकिस्तान ने भी सीमा पर गोलीबारी करना शुरू कर दिया है। चीन ऐसे में भारतीय सेना का ध्यान भटकाने के लिए ऐसा करवा रहा है। चूंकि किलियांग और जनरल बाजवा के बीच की कैमिस्ट्री पहले से ही स्ट्रोंग है। इसको देखकर यही लग रहा है कि ये दोनों देशों की सोची समझी साजिश है।