आज देश में असल मुद्दों पर बात नहीं हो रही है। देश की जनता पहले ही कोरोना की मार झेल रही है। ऐसे में देश के भीतर दूसरी GDP जीडीपी यानी G गैस, D डीजल, P पैट्रोल पर धुआंदार दाम बढ़ाए जा रहे हैं, लेकिन जब भी कोई इस पर बात करता है तो केंद्र सरकारें राज्य पर और राज्य सरकारें केंद्र पर डाल देती हैं। जबकि असल में ये जिम्मेदारी दोनों ही सरकारों की है। आज आपको कुछ ऐसे तथ्य बताने जा रहे हैं जिन्हें पढ़कर आप भी हैरान रह जाएंगे..
राजस्थान में आज की रेट?
04 फरवरी 2021, गुरुवार को रसोई गैस पर 25 रुपए की बढ़ोतरी की गई। इसके अलावा पैट्रोल-डीजल पर भी 35-35 पैसे बढ़ाए गए। राजधानी दिल्ली में पैट्रोल के दाम 86.65 और डीजल 76.86 रुपए प्रतिलीटर हो गए हैं। राजस्थान की राजधानी जयपुर में अब एक घरेलु गैस सिलेंडर की कीमत 723 रुपए हो चुकी है। वहीं पैट्रोल के दाम 92.77 रुपए प्रतिलीटर और डीजल के दाम 84.87 रुपए प्रतिलीटर हो चुके हैं।
वैट का बंटवारा?
पैट्रोलियम पदार्थों पर करीब 61 फीसदी का टैक्स सरकार द्वारा वसूला जा रहा है। इसमें 38 फीसदी हिस्सेदारी केंद्र की और 23 फीसदी हिस्सेदारी राज्य सरकारों की रहती है। राजस्थान की बात करें तो प्रदेश में पैट्रोल पर लगने वाला वैट 30.08 फीसदी है और डीजल पर 24.09 फीसदी है। वहीं कच्चे तेल के दामों की बात करें तो इसकी बेस प्राइस केवल 29.64 रुपए ही है। ऐसे में समस्या ये है कि कोई भी सरकार अपना वैट कम करने को तैयार नहीं होती और इसके पीछे की वजह है मोटी कमाई।
एक सवाल!
अंतर्राष्ट्रीय बाजार में जब कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी होती है तो पैट्रोलियम कंपनियां बढ़े हुए दामों का हवाला देते हुए तुरंत प्रभाव से रेट्स बढ़ा देती हैं, जबकि कच्चे तेल के दामों में कमी होने पर ऐसा रेट्स को कम नहीं किया जाता। आखिर ऐसा क्यों? वहीं सरकार का कहना है कि ये कंपनियां स्वतंत्र हैं, इसमें सरकार का किसी तरह का कोई हस्तक्षेप नहीं रहता और कंपनियां मार्केट के हिसाब से ही दाम तय करती हैं। ऐसे में इन कंपनियों का कंट्रोल किसके हाथ में है?
एक नजर इस पर भी :
– 10 महीने में डीजल के दाम 14 रूपए तक बढ़े।
– 10 महीने में पैट्रोल के दाम 16 रुपए तक बढ़े।
– केंद्र सरकार ने कोरोना काल में भी करीब 11 बार एक्साइज ड्यूटी बढ़ाई।
– साल 2012 में महंगाई के चलते गोवा के तत्कालीन सीएम मनोहर पर्रिकर ने तेल पर लगने वाला टैक्स खत्म कर दिया था।