India Justice Report 2021. आमजन को इंसाफ देने के मामले में महाराष्ट्र ने पहला स्थान प्राप्त किया है। लोगों को न्याय प्रदान करने वाले राज्यों की सूची सामने आई है। इस सूची में तमिलनाडु को दूसरा और तेलंगाना को तीसरा स्थान मिला है। वहीं यूपी इस सूची में अंतिम स्थान पर है। जबकि एक करोड़ से कम आबादी वाले राज्यों में त्रिपुरा शीर्ष पर रहा है। ‘टाटा ट्रस्ट’ ने सेंटर फॉर सोशल जस्टिस, कॉमन काउज, कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट इनिशिएटिव, दक्ष, टीआईएसएस-प्रयास, विधि सेंटर फॉर लीगल पॉलिसी और हाउ इंडिया लाइव्स के साथ मिलकर इस ‘इंडिया जस्टिस रिपोर्ट 2020’ को तैयार किया है।
ये रहे टॉप 5 राज्य :
महाराष्ट्र
तमिलनाडु
तेलंगाना
पंजाब
केरल
न्यायालयों में महिला जजों की कमी :
इस रिपोर्ट की मानें तो भारत में केवल 29 फीसदी महिला न्यायाधीश हैं। उच्च न्यायालयों में महिला न्यायाधीशों की संख्या में केवल 2 फीसदी की ही बढ़ोतरी हो पाई है। अब इनकी संख्या पहले से बढ़कर 13 फीसदी हो चुकी है। वहीं अधीनस्थ अदालतों की बात करें तो वहां भी महिला जजों की संख्या में 2 फीसदी की बढ़ोतरी हो पाई है। अब इनकी संख्या बढ़कर 30 फीसदी हो चुकी है।
अदालतों में पेंडिंग 3 करोड़ से ज्यादा केस :
उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति एमबी लोकुर ने अदालतों में पेंडिंग मामलों को सबसे अधिक चिंता का विषय बताया है। न्यायमूर्ति ने बताया कि रिपोर्ट की प्रस्तावना लिखने तक जिला अदालतों में साढ़े 3 करोड़ से भी अधिक मामले लंबित हैं। वहीं उच्च न्यायालयों में इनकी संख्या 47 लाख की है। ये सभी आंकड़े राष्ट्रीय न्यायिक डाटा ग्रिड से प्राप्त किए गए हैं।
कैदियों पर सालाना खर्च :
इस रिपोर्ट में जेल को लेकर भी आंकड़े जारी किए गए हैं। इसमें एक कैदी पर होने वाले खर्चे में करीब 45 फीसदी की बढ़ोतरी बताई गई है। रिपोर्ट के मुताबिक एक कैदी पर सबसे ज्यादा खर्चा आंध्र प्रदेश में किया जाता है। यहां सालाना प्रति कैदी 2 लाख रुपए तक खर्च किए जाते हैं। वहीं मेघालय में ये आंकड़ा महज 11 हजार रुपए का ही है।