वेजीटेबल ऑइल का उपयोग आपने खाना बनाने के लिए प्रयोग में लिया होगा, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। कहने का मतलब है कि अब वेजीटेबल ऑइल का उपयोग सिर्फ खाना बनाने में ही नहीं बल्कि ईंधन के रूप में भी होगा। जी हां, सुनने में अजीब है मगर इसे हकीकत बनाया है एमएनआईटी के एक प्रोफेसर ने। एमएनआईटी के मेकेनिकल इंजीनियर हेड प्रो. दिलीप शर्मा ने अपनी टीम के साथ मिलकर ये आविष्कार किया है। जिससे डीजल इंजन और डीजल जेनरेटर को चलाया जा सकता है। इसका आविष्कार करने वाले प्रोफेसर्स ने दावा किया है कि इससे धुंए के साथ कार्बन प्रिंट नहीं बढ़ेंगे और साथ ही यह डीजल के मुकाबले 30 प्रतिशत सस्ता भी पड़ेगा।
एक दशक का इंतजार :
एमएनआईटी के मेकेनिकल इंजीनियर हेड प्रो. दिलीप शर्मा और वर्तमान में एनआईटी उत्तराखण्ड के डायरेक्टर प्रो. एस.एल. सोनी और कमल खत्री की टीम ने इस इस आविष्कार को डिपार्टमेंट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी के
जरिए इंडियन पेटेंट ऑफिस में भेजा था। जिसे दस साल बाद मंजूरी मिली है।
किसानों को मिलेगा फायदा :
डीजल इंजन के प्रयोग में यह तकनीक आराम से काम में ली जा सकेगी। इससे खेती या अन्य कार्यों में लोगों को काफी बचत भी होगी। प्रोजेक्ट से जुड़े प्रो. एस.एल. सोनी ने बताया कि इस आविष्कार से बायो डीजल बनाए बिना साइलेंसर से गर्म करके इस ऑइल को फ्यूल की तरह काम में लिया जा सकेगा।