— 2 दिन की मोहलत कोर्ट के समय की बर्बादी : प्रशांत भूषण..
सुप्रीम कोर्ट में आज वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण Prashant Bhushan के अवमानना के मामले पर सुनवाई की गई। ये सुनवाई जस्टिस अरुण मिश्रा Justice Arun Mishra के नेतृत्व वाली बेंच ने की। इस दौरान बेंच की ओर से कई सवाल प्रशांत भूषण से पूछे गए। जिनका जवाब उन्होंने बखूबी दिया। प्रशांत भूषण की ओर से सुनवाई के दौरान दलीलें उनके वकील राजीव धवन ने पेश की। बता दें कि आज देशभर में प्रशांत भूषण के समर्थन में सामाजिक संगठनों एवं कई पार्टियों की ओर से शांतिपूर्ण प्रदर्शन भी किए गए।
बहरहाल Supreme Court की तरफ से आज किसी तरह की सजा का ऐलान नहीं किया गया। वहीं बेंच की ओर से प्रशांत भूषण को अपने दिए गए बयान पर विचार करने के लिए दो दिन का समय दिया गया है। यानि अब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का रुख सोमवार को ही सामने आ पाएगा।
कोर्ट में हुए सवाल-जवाब :
जस्टिस मिश्रा — हर चीज की एक लक्ष्मण रेखा होती है। जो परंपराओं या तय नियमों पर आधारित है। उसे कभी नहीं तोड़ा जाना चाहिए। अपने बयान पर विचार करने के लिए कोर्ट 2 दिन का समय देता है।
प्रशांत भूषण — मुझे नहीं लगता कि इससे कुछ होगा। ये सिर्फ कोर्ट के समय की बर्बादी होगी। यह मुश्किल है कि मैं अपना निर्णय बदलूंगा। उन्होंने कहा कि मुझे सजा सुनाये जाने का दु:ख नहीं है, दु:ख इस बात का है कि उन्हें पूरी तरह गलत समझा गया।
जस्टिस मिश्रा — सुनवाई के दौरान जस्टिस मिश्रा ने कहा कि आपने जिस तरह के केस लड़े हैं हम उससे प्रभावित हैं मगर इसका मतलब ये नहीं होगा कि उससे गलत को संतुलित कर दिया जाए।
प्रशांंत भूषण — इस दौरान प्रशांत भूषण ने महात्मा गांधी के बयान को याद करते हुए कहा कि मैं दया दिखाने के लिए नहीं कह रहा और न ही कोई दरियादिली दिखा रहा हूं। अगर कोर्ट इस मामले में मुझे कोई सजा देना चाहता है तो मैं उसके लिए तैयार हूं। मगर इस मामले में मेरी तरफ से मांफी मांगना अवमानना जैसा होगा।
राजीव धवन — भूषण के वकील राजीव धवन ने कहा कि कोर्ट और वकीलों के लिए पिछले 6 वर्ष काफी मुश्किल भरे रहे हैं। इतिहास में इन वर्षों को बार-बार देखा जाएगा।
जस्टिस मिश्रा — इस पर जस्टिस मिश्रा ने कहा कि हम ज्योतिषी नहीं हैं। यह भविष्य को तय करना है।
राजीव धवन — सुनवाई के दौरान भूषण की ओर से पेश हुए वकील राजीव धवन ने कहा कि इस बात का कोई आधार ही नहीं है कि प्रशांत भूषण के 2 ट्वीट करने से सुप्रीम कोर्ट की गरिमा में कोई कमी आ जाए। धवन ने पूछा कि आखिर कोर्ट को ऐसा क्यों लगता है कि वरिष्ठ वकील की ओर से किए गए ये ट्वीट अपमानजनक थे।
बता दें कि प्रशांत भूषण की ओर से किए ट्वीट्स Tweet को अपमानजनक मानते हुए 14 अगस्त को अदालत की आपराधिक अवमानना का दोषी ठहराया गया था। इस तरह के मामले में दोषी पाए जाने पर व्यक्ति को 6 महीने तक की साधारण कैद या दो हजार रुपए जुर्माना अथवा दोनों की सजा का प्रावधान है।