अभी सीएए से देश उभरा नहीं कि एक और मामला एनपीआर के रूप में सरकार ने पेश कर दिया है। इसको लेकर आमजन में फिलहाल एक संशय बना हुआ है कि यह लागू होगा भी या नहीं। वो इसलिए क्योंकि यदि दस राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने और एनपीआर का विरोध किया तो केन्द्र की एनपीआर को लेकर तैयार की गई योजना धरी की धरी रह जाएगी। जानकारी के अनुसार केरल और पश्चिम बंगाल की सरकारों की ओर से अपने राज्यों में राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर का काम रोकने की बात कही गई है।
अभी तक केरल और पश्चिम बंगाल सरकारों की ओर से अपने राज्यों में एनपीआर रोकने को कहा गया है। कुछ ऐसी ही घोषणा करीब 10 राज्यों की ओर से और की गई है। माकपा नेता प्रकाश करात ने नागरिकता कानून में संशोधन के विरोध में आयोजित हुए एक सेमिनार के संबोधन के दौरान यह बताया। उन्होंने कहा कि पहला नागरिकता संशोधन कानून सीएए, दूसरा एनपीआर और तीसरा एनआरसी है। यह तीनों आपस में जुड़े हुए हैं।
जानें क्या है एनपीआर :
राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर के जरिए सरकार के पास देश के हर नागरिक की जानकारी होगी। इसमें हर भारतीय नागरिक का बायोमेट्रिक रिकॉर्ड लेकर उनकी वंशावली दर्ज की जाएगी। वैसे निवासी जो छह महीने या उससे ज्यादा समय से किसी क्षेत्र में रह रहे हैं, उसके लिए यहां पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा। एनपीआर को राष्ट्रीय स्तर, राज्य स्तर, जिला, उपजिला व स्थानीय स्तर पर तैयार किया जाएगा।
यह तीन चरणों में तैयार होगा- पहला चरण एक अप्रैल 2020 से लेकर 30 सितंबर 2020 होगा। इसमें केंद्र और राज्य सरकार के कर्मचारी घर-घर जाकर आंकड़े जुटाएंगे। दूसरा चरण 2021 में 9 फरवरी से 28 फरवरी तक होगा। जिसके बाद तीसरा चरण होगा।