राजस्थान. अभी तक आपने किसी वस्तु अथवा सामान पर ही क्यूआर कोड देखा होगा, लेकिन अब इसका उपयोग पशुओं के लिए होने जा रहा है। जी हां, आपने सही पढ़ा। प्रदूषण के बढ़ते स्तर और खाने में मिलावट के चलते बीमारियों का खतरा और बढ़ता ही जा रहा है। यदि आप नॉनवेज खाते हैं तो आपको अधिक सतर्कता बरतनी चाहिए, खासकर ईद के मौके पर जब बकरे की सबसे ज्यादा डिमांड होती है। इस को मद्देनजर रखते हुए राजस्थान के पशु पालन विभाग ने एक प्रोग्राम की शुरुआत की है, जिसके अंतर्गत बकरियों में क्यूआर इयर टैग लगाए गए हैं।
बता दें 2012 में हुए पशुधन जनगणना के अनुसार राजस्थान में करीब 21 मिलियन बकरी पशुधन है। जो कि सारी पशुधन आबादी का 31% है। कई राज्य जैसे बाड़मेर, जैसलमेर, जोधपुर और नागौर में इनकी संख्या काफी चिंताजनक है क्योंकि हर महीने हजारों बकरियों को मरने के लिए बाहरी राज्यों मे भेज दिया जाता है।
इन परिस्थितियों को देखते हुए राजस्थान सरकार ने www.rajasthangoat.com नामक वेबसाइट को लांच किया है। साथ ही पशुधन महिला कार्यकर्ताओं को वेबसाइट पर बकरियों की वर्तमान स्थिति की जानकारी ड़ालने के लिए टेबलेट्स उपलब्ध कराए गए हैं। इस वेबसाइट पर मोबाइल एप का लिंक भी दिया गया है जिसे डाउनलोड़ करके खरीदार बकरियों के बारे में सभी प्रकार की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
इन इअर टैग्स की सहायता से खरीददार को बकरी का वजन, उसकी नस्ल और साथ ही उसके वैक्सीन और बीमारियों का पुराना रिकॉर्ड पता चल सकेगा। अभी के लिए वेबसाइट से पीसांगन महिला बकरी प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड़ जुड़ी हुई है जो कि अजमेर जिले के पीसांगन ग्राम पंचायत की बकरियों की सारी जानकारी देती है।
इस मुहिम से न सिर्फ खरीददार को बकरियों के बारे में पता चलेगा, बल्कि इसे बचाने वालों को भी मुनाफा मिलेगा। महिला कार्यकर्ता बकरी पालन करने वाली महिलाओं को ट्रेनिंग देकर उन्हें सशक्त बना सकेंगी।