तेलंगाना की एक जेल में पिछले 27 दिनों से दो मुर्गे बंद हैं। जबकि पुलिस भी जानती है कि ये दोनों मुर्गे पूरी तरह से निर्दोष हैं। सुनकर चौंक गए न! मगर ये सच है। अब आप सोच रहे होंगे कि यदि मुर्गे निर्दोष हैं तो पुलिस ने इन्हें जेल में क्यों ड़ाल रखा है? इसके पीछे की वजह भी आपको हैरान कर देगी। चलिए आपको बताते हैं कि आखिर ये पूरा माजरा है क्या?
क्या है मामला ?
दरअसल मामला तेलंगाना के खम्म जिले का है। जहां मिदिगोंडा पुलिस ने इन दोनों मुर्गों को लॉकअप में बंद कर रखा है। हुआ यूं कि एक मुखबिर की सूचना पर 10 जनवरी को पुलिस को खबर मिली कि बानापुरम गांव में मुर्गों को लड़ाया जा रहा है। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर करीब 10 लोगों को गिरफ्तार कर लिया। साथ ही उनके वाहन आदि भी जब्त कर लिए गए। ऐसे में सुबूत के तौर पर बेजुवान मुर्गों को भी पुलिस पकड़कर ले आई।
अब मजेदार बात ये है कि जिनका जुर्म था, आज वो तो जमानत पर बाहर आ गए और जो बेजुवान निर्दोष मुर्गे हैं वो आज भी सलाखों के पीछे कैद हैं। चूंकि इन मुर्गों को किसी ने भी अपना नहीं बताया, यदि ऐसा करते तो साबित हो जाता कि वो इन्हें लड़ा रहे थे। लिहाजा मुर्गों को वहीं छोड़ दिया गया।
क्या कहती है पुलिस ?
पुलिस का कहना है कि मुर्गों को सुबूत के तौर पर जेल में रखा गया है, जरूरत पड़ने पर इन्हें अदालत में भी पेश किया जा सकता है। इसके बाद दोनों मुर्गों को नीलाम कर दिया जाएगा। ऐसे में ये मुर्गे पिछले 27 दिन से तेलंगाना के साथ-साथ देशभर के लोगों के लिए एक रोचक किस्सा बने हुए हैं। खबरों के अलावा सोशल मीडिया पर भी इन मुर्गों की खूब चर्चा हो रही है।
मुर्गों पर लगता है सट्टा :
तेलंगाना में संक्रांति के त्योहार पर मुर्गा फाइट का चलन है। जो कि 3 दिनों तक चलता है। वहीं इस पर बड़े लेवल पर सट्टा भी लगाया जाता है। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो इन 3 दिनों के भीतर इस बार भी करीब 100 करोड़ से अधिक का सट्टा लगाया गया।
कैसे होती है मुर्गा फाइट ?
मुर्गा फाइट के दौरान दो मुर्गों को आपस में लड़ाया जाता है। इसके लिए मुर्गों के पैरों में छोटे-छोटे चाकू बांधे जाते हैं। ऐसे में लड़ाई के दौरान दोनों में से या तो कोई एक मुर्गा मर जाता है अथवा रिंग से बाहर हो जाता है। इसके बाद जीते हुए मुर्गे के मालिक को अच्छी खासी रकम मिलती है। साथ ही उन सभी लोगों को भी पैसे मिलते हैं जिन्होंने इस मुर्गे पर पैसे लगाए थे।