देश में खेलों को बढ़ावा मिले इसके लिए देशभर में ‘खेलो इंडिया’ मुहिम की शुरुआत की गई थी। वहीं दूसरी ओर खेल मंत्री किरण रिजिजू ने खिलाड़ियों को खेल में सक्षम बनाने के लिए राज्यों के सामने ‘एक राज्य-एक खेल’ का सुझाव रखा है। उनका मानना है कि इससे न सिर्फ खेल की भावना बढ़ेगी बल्कि खिलाड़ियों को ओलंपिक्स में गोल्ड जीतने के लिए तैयार भी किया जा सकेगा। फिलहाल इसके लिए सुझाव मांगे गए हैं, इसके बाद ही मालूम चल पाएगा कि राज्यों की क्या प्रतिक्रिया आती है। हालांकि खिलाड़ियों की बात करें तो उनकी राय में ये फैसला उचित समझ से बाहर है।
ये है योजना :
इस योजना के अंतर्गत सभी राज्य सरकारों के सामने 14 खेलों की सूची रखी गई है, जिसमें से हर राज्य उस खेल को चुन सकता है जिसमें वो सक्षम है और खिलाड़ियों को ओलंपिक्स में पदक दिलवा सकता है। इस सूची को उसी प्रकार से तैयार किया गया है जितना कि एक खिलाड़ी को किसी भी खेल में ओलिंपिक के लिए प्रशिक्षित होने से लिए लगता है।
2024 ओलंपिक्स के लिए इन खेलों में शूटिंग, मुक्केबाजी, एथलेटिक्स, तीरंदाजी, हॉकी, कुश्ती, भारोत्तोलन, बैडमिंटन और साइक्लिंग है, जबकि 2028 ओलंपिक्स के लिए टेबल टेनिस, जूडो, तलवारबाजी, तैराकी और नौकायन को रखा गया है। इन्हीं खेलों में राज्यों की ओर से खिलाड़ियों को मैडल के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा। खिलाड़ियो की तैयारी में लगने वाला खर्च सरकार उठाएगी।
एक योजना ये भी :
आपको बता दें कि 2020 में होने वाले टोक्यो ओलंपिक खेलों के लिए भारत सरकार ‘एक परिवार-एक खिलाड़ी’ की योजना भी चला रही है, जिसके अंतर्गत टोक्यो या उसके आसपास रहने वाले एक भारतीय परिवार को किसी एक खिलाड़ी के रहने और खाने-पीने का इंतजाम करना होगा। इससे खिलाड़ियों को खेल से पहले वहां के वातावरण में ढलने का अवसर मिलेगा, साथ ही घर जैसा माहौल मिलने से वो बेहतर प्रदर्शन भी कर पाएंगे।
इसी संदर्भ में एयू समाचार की टीम ने प्रदेश के कुछ खिलाड़ियों से भी बात की जिनका रिएक्शन कुछ इस प्रकार से आया-
इस तरह का फैसला मेरी नजर में सही नहीं है। खिलाड़ियों का सलेक्शन उनकी प्रतिभा के आधार पर होना चाहिए भले वह देश में कहीं का भी रहने वाला क्यों न हो। खेलों का राज्यों के हिसाब से बंटवारा करना ठीक बात नहीं है। ऐसा करना न तो देश के लिए और न ही खिलाड़ियों के हित में होगा।
— हर्ष दाधीच, नेशनल प्लेयर
ये सुझाव समझ से परे है हालांकि उनका पूरा बयान पढ़ा नहीं है लेकिन जितना भी पढ़ा है उससे यही समझ आ रहा है कि किसी भी प्रदेश को इस तरह से अपने लिए खेल चुनना आसान नहीं होगा। साथ ही इसका विपरीत असर वहां के स्थानीय खिलाड़ियों पर ज्यादा पड़ेगा। इस तरह का सुझाव मेरी समझ से परे है।
— शियान दिनेश डाबी, कराटे प्लेयर
खेलों को बांटने से कुछ नहीं होगा। पहली बात तो ये बात ही असंभव सी लग रही है कि एक राज्य केवल एक खेल को ही रिप्रजेंट करे। राजस्थान के संदर्भ में बात करें तो शूटिंग और तीरंदाजी दोनों खेलों के ओलंपियन हमारे पास अब आप किस आधार पर खेल का सलेक्शन करोगे। इसलिए ये सुझाव हमारी समझ से तो बाहर है।
— दिनेश कुमार कुमावत, तीरंदाज