एक कहावत है कि ‘सांप को कितना ही दूध पिला लो उगलेगा जहर ही।’ मगर भारत में एक ऐसा गांव भी मौजूद है जहां के लोग सांपों को बच्चों की तरह पालते हैं, लेकिन मजाल है किसी सांप ने बच्चे तक को भी डसा हो।
भारत में पशु-पक्षी हो या कोई जानवर सभी के प्रति लोगों की कोई न कोई मान्यता जरूर है। सनातन धर्म में हिंदुओं की बात करें तो हरेक जानवर को किसी न किसी भगवान का साथी माना गया है।
चाहे वो चूहा हो, शेर हो या फिर गाय ही क्यों न हो, उनके प्रति लोगों में एक महत्व है। ऐसे ही सांप की भी लोगों में अलग ही प्रतिष्ठा है। ये बात ओर है कि जब कहीं सांप सामने आ जाता है तो अच्छे अच्छों की बोलती बंद हो जाती है। मगर भारत में एक ऐसी जगह भी है जहां लोगों के साथ सांप भी बड़े मजे के साथ रहते हैं।
सोचने में थोड़ा अटपटा लगता है मगर महाराष्ट्र के शोलापुर जिले में शेतपाल नाम के गांव में आपको यह दृश्य आसानी से दिख जाएगा। यहां घरों से लेकर स्कूल तक हर जगह आपको सांप घूमते मिल जाएंगे। और ये कोई आम सांप नहीं बल्कि खतरनाक कोबरा जैसे सांप आपको मिल जाएंगे जो अन्य पालतू जानवरों की तरह घूमते देखे जा सकते हैं। गौर करने वाली बात है कि यहां घरों में बच्चे तक इनसे नहीं ड़रते हैं। यहां के घरों में बच्चों को खिलौने की तरह सांपों से खेलते हुए देखा जा सकता है।
ये है इसके पीछे का रहस्य :
शेतपाल गांव में सांपों को देवता का दर्जा दिया जाता है, जिसके लिए हर घर में सांपों के लिए देवस्थान बनाया गया है। गांव के लोग मानते हैं कि इन देवस्थान पर सांप आराम करने आते हैं और इसके कारण परिवार पर उनका आशीर्वाद बना रहता है। यहां तक कि अगर गांव में कोई नया घर भी बनवाता है तो सांप के आने और बैठने के लिए छत पर छेद जरूर बनवाता है। कमाल की बात तो ये है कि अभी तक इस गांव में सांप ने किसी व्यक्ति को काटा नहीं है। इसके पीछे का कारण लोगों का सांपों को सम्मान देना और कभी एक—दूसरे को परेशान न करना माना जाता है।
इस गांव में सिद्धेश्वर नाम का एक प्रसिद्ध मंदिर भी है, जहां उन लोगों को ठीक करने के लिए लाया जाता है जिनको सांप ने काटा हो। इस मंदिर में भगवान शिव के ऊपर सात हुड वाले कोबरा की तांबे की मूर्ति स्थापित है।
एक वजह ये भी :
शेतपाल गांव में सांपों के रहने के पीछे की सही वजह तो किसी को पता नहीं है मगर शेतपाल गांव मैदानी इलाकों में स्थित एक सूखा क्षेत्र है, जो सांपों को काफी पसंद आता है। गांव के इस तरह के वातावरण के कारण ही यहां सांपों की कई विशेष प्रकार की किस्में पाए जाने की वजह माना जाता है।