सेना को हमेशा किसी भी तरह के ऑपरेशन के लिए तैयार रखने के साथ ही हमें मानवाधिकारों का भी विशेष ध्यान रखना होगा। 31 दिसंबर को रिटायर हुए जनरल रावत की जगह लेने वाले नए आर्मी जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने गार्ड ऑफ ऑनर के बाद यह बात कही। साथ ही उन्होंने वाहेगुरु जी से साहस और ताकत से सेना प्रमुख के तौर पर अपना कर्तव्य निभा सकने की प्रार्थना की।
आपको बता दें कि नरवणे ने मंगलवार को ही सेना प्रमुख का कार्यभार संभाला। वहीं जनरल बिपिन रावत को देश का पहला चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बनाया गया है। लेफ्टिनेंट जनरल एमएम नरवणे को वरिष्ठता के आधार पर अगला आर्मी चीफ चुना गया है। नरवणे भारतीय सेना में अप्रैल 2022 तक अपनी सेवाएं देंगे। उन्हें यह जिम्मेदारी मिलने पर गर्व है।
लेफ्टिनेंट जनरल एम.एम. नरवणे का जन्म 22 अप्रेल 1960 में पुणे के मराठी परिवार में हुआ था। उनके पिता भी भारतीय वायु सेना में थे और माता ने ऑल इंडिया रेडियो में कार्य किया। उन्होंने पुणे के ज्ञान प्रबोधिनी प्रशाला से पढ़ाई की है। स्कूल के दिनों मे उनकी रूचि पेंटिंग और खेलों में भी थी। नरवणे राष्ट्रीय रक्षा अकादमी से पास आउट हैं। वे जून 1980 में सिख लाइट इन्फैंट्री रेजिमेंट की 7वीं बटालियन में शामिल हुए।
उन्होंने 1 सितंबर 2019 को भारतीय सेना के उप प्रमुख का पद्भार ग्रहण किया था। इसके पहले वे सेना के उत्तरी कमांड के प्रमुख थे। सेना में चार दशक के कार्यकाल में उन्होंने कई चुनौतियों का सामना किया। कश्मीर से लेकर नॉर्थ ईस्ट राज्यों में ड्यूटी के दौरान आतंकी गतिविधियों को रोकने में खास भूमिका निभाई। नरवणे श्रीलंका में 1987 के दौरान चलाए ऑपरेशन पवन में पीस कीपिंग फोर्स का हिस्सा भी रहे।