दुनियाभर की फार्मा कंपनियां इस समय कोरोना की वैक्सीन vaccine तैयार करने में लगी हुई हैं। इनमें से कईयों का दावा है कि वह साल की शुरुआत तक अपनी वैक्सीन मार्केट में उतार देंगे। मगर अमेरिका की एक कंपनी ने कहा कि है कि सबकुछ ठीक रहा तो वह इसी साल नवंबर माह तक वैक्सीन तैयार कर लेगी। इस कंपनी का नाम है फाइजर Pfizer जो कि बायोएनटेक biontech के साथ मिलकर इस वैक्सीन पर काम कर रही है। दोनों ही कंपनियां अगले माह यानी अक्टूबर तक वैक्सीन्स के प्रभावों का पता लगा लेंगी। ऐसे में संभवतया नवंबर अथवा दिसंबर महीने तक वैक्सीन को आपात इस्तेमाल की मंजूरी मिल सकती है।
क्यों पिछड़ी भारत की वैक्सीन :
इससे पहले ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एक्ट्राजेनेका astrazeneca की संभावित वैक्सीन को सबसे अधिक विश्वसनीय और तेज माना जा रहा था। भारत में सीरम इंस्टिट्यूट इस वैक्सीन का ट्रायल कर रहा था। मगर ब्रिटेन में अचानक एक वॉलिंटियर की तबियत खराब हो जाने के कारण तुरंत प्रभाव से इस वैक्सीन के ट्रायल पर रोक लगा दी गई थी। इसी की वजह से ये वैक्सीन पिछड़ गई थी। हालांकि बाद में इसे फिर से शुरू कर दिया गया था। मगर अभी तक इस बात का पता नहीं चल पाया है कि वॉलिंटियर की तबीयत वैक्सीन की वजह से खराब हुई थी या कोई और कारण था।
रूस और चीन का हाल :
कोरोना वैक्सीन की बात करें तो रूस ने सबसे पहले कोरोना की वैक्सीन बनाने का दावा ठोका हुआ है। करीब एक महीने पहले ही रूस में तैयार स्पूतनिक-वी sputnik v को अभी पूरी तरह से अप्रूवल नहीं मिला है। बताया जा रहा है कि अभी तक उसने तीसरे फेज का ट्रायल पूरा नहीं किया है। कुछ ऐसा ही हाल चीन का है। जहां अब तक सबसे ज्यादा 3 वैक्सीन ऐसी हैं जिन्हें वह अपने लोगों को दे रहा है। इनमें से भी अभी तक कोई भी वैक्सीन तीसरे चरण का ट्रायल पूरा नहीं कर पाई है।