कहते हैं कि बचपन में दी गई सीख पूरी जिंदगी हमारे साथ रहती है। फिर चाहे वो सबका सम्मान करना हो या फिर नियमों के अनुसार काम करना हो। इसका सबसे अच्छा उदाहरण है भारत के मेघालय जिले में स्थित ‘मावल्यान्नांग गांव’, जिसे इन्हीं सीखों के कारण एशिया के सबसे साफ गांव की उपाधि से नवाजा गया है। वैसे तो मेघालय अपनी परंपराओं और हरयाली के कारण प्रसिद्ध है, मगर मेघालय के मावल्यान्नांग गांव की बात ही कुछ अलग है। वो है यहां की सफाई व्यवस्था।
यहां घर से लेकर रास्ते पर आपको कहीं भी कचरा और गंदगी नहीं दिखाई देगी। पूरे गांव में बांस से बने कचरापात्र लगाए हुए हैं जहां लोग कचरा डालते हैं। साथ ही रोचक बात ये है कि यहां सभी ग्रामीण घर और रास्ते की स्वयं सफाई करते हैं और अगर यदि रास्ते पर कचरा दिख जाए तो उसको साफ किए बिना आगे नहीं बढते हैं। साथ ही यहां प्लास्टिक बैग्स और धूम्रपान पर भी पाबंदी है। जिसके कारण 2003 में इस गांव को एशिया का और 2005 में भारत के सबसे साफ गांव का दर्जा मिल चुका है।
ऐसे हुई शुरुआत :
यह बदलाव करीब 130 साल पहली हुई घटना के कारण आया। जब यहां ‘हैजा’ नामक बीमारी ने सारे गांव में आतंक मचा दिया था। गांव में बीमारी को ठीक करने के लिए पर्याप्त इलाज उपलब्ध नहीं था और सफाई ही इससे छुटकारा पाने का एकमात्र विकल्प बचा था। यह भी कहा जाता है एक क्रिस्चियन मिशनरी ने ग्रामीणों के पूर्वजों से कहा था कि वो सफाई के जरिए ही खुद को हैजे से बचा सकते है। फिर चाहे वो खाना हो, गांव हो या फिर अपना शरीर हो। इसी सीख को सभी ग्रामीणों ने अपने पूर्वजों से पाया और अब यह इस गांव को सबसे ‘स्वच्छ गांव’ बनाता है।
और क्या है खास :
सफाई के अलावा यहां के लोगों की सोच भी काफी विकसित है। ‘महिला सशक्तिकरण’ का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि यहां बच्चों को पिता के जगह माता का उपनाम दिया जाता है। इतना ही नहीं, परिवार की संपत्ति भी पुत्री को देने की परंपरा है। शिक्षा की बात करें तो यहां का साक्षरता दर 100 प्रतिशत है और यहां के ज्यादातर लोग अंग्रेजी में भी बात करते हैं। पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए यहां पक्की सड़कों के साथ रास्तों पर सोलर लाइट्स लगाई गई हैं।
इसलिए पसंद आता है पर्यटकों को :
वैसे तो खेती यहां के ग्रामीणों की आय का मुख्य जरिया है। पर सबसे साफ गांव का दर्जा मिलने के बाद यह टूरिज्म का भी बड़ा जरिया बन गया है। यहां सफाई के अलावा भी काफी सुंदर चीजें हैं, जो पर्यटकों को पसंद आती हैं। जिनमें सबसे खास है ‘लिविंग रुट ब्रिज’ जिसे ‘यूनिस्को वर्ल्ड हेरिटेज साइट’ की उपाधि हासिल है। नदी के ऊपर बसे इस ब्रिज को दो बड़े पेड़ों की जड़ों को जोड़कर बनाया गया है। साथ ही यहां के लोगों का मिलनसार व्यवहार और यहां के प्राकृतिक तरीके से बना खाना पर्यटकों को खासा पसंद आता है। यदि यहां पर्यटक कचरा फैलाते हैं तो उसका डोनेशन भी उन्हीं से वसूला जाता है।