- यहां से भी जुड़ी है नरेंद्र के विवेकानंद बनने की कहानी..
National Youth Day 2021: आज 12 जनवरी को देश स्वामी विवेकानंद की 158वीं जयंती मना रहा है। आज ही के दिन नरेंद्र ने इस दुनिया में कदम रखा। उनके जन्मदिन को ही हम ‘राष्ट्रीय युवा दिवस’ के रूप में मनाते हैं। नरेंद्र से विवेकानंद बनने में राजस्थान की मिट्टी का बड़ा योगदान रहा है। इस बात का पता स्वामी जी द्वारा लिखे एक पत्र से चलता है। 11 अक्टूबर 1897 को खेतड़ी के मुंशी जगमोहनलाल को एक पत्र लिखा। जिसमें उन्होंने लिखा कि ‘अजीत सिंह और मैं दो ऐसी आत्माएं हैं जो मानव समाज के कल्याण के लिए एक महान कार्य करने में परस्पर सहयोग करने के लिए जन्मे हैं। राजा अजीत सिंह नहीं होते तो शायद मैं यहां तक नहीं पहुंच सकता था।’ आज हम आपको उनके जीवन से जुड़े कुछ ऐसे ही खास किस्से बता रहे हैं…
यहां की तपस्या :
राजस्थान का स्वर्ग कहे जाने वाले माउंट आबू में स्थित अर्बुदाचल की पहाड़ियों में स्वामी विवेकानंद ने खूब तपस्या की। उनकी तपस्थली का वह स्थान माउंट आबू पर्वत पर आज भी मौजूद है। पत्थर की चट्टान के नीचे यह एक गुफास्वरूप जगह है। जहां बैठकर स्वामी जी ध्यान किया करते थे। हालांकि देखरेख के अभाव में इस स्थान की हालत ज्यादा अच्छी नहीं है। मगर पिछले कुछ सालों में इस स्थान पर भी पर्यटक आने शुरू हो गए हैं। धीरे-धीरे इस स्थान को भी अब एक पहचान मिलने लगी है।
खेतड़ी नरेश और नरेंद्र :
कहते हैं कि स्वामी विवेकानंद जब आबू पर्वत पर ध्यान कर रहे थे तभी राजस्थान के झुंझुनूं के खेतड़ी नरेश महाराज अजीत सिंह भी माउंट आबू छुट्टियां मनाने गए हुए थे। उस समय स्वामी जी को संन्यासी की वेशभूषा में फर्राटेदार अंग्रेजी बोलते देख हर कोई अचरज करता था। एक दिन उन पर खेतड़ी नरेश के सचिव मुंशी जगमोहनलाल की नजर गई और उन्होंने स्वामी जी के बारे में सारी बातें खेतड़ी नरेश को जा बताईं।
जब खेतड़ी नरेश स्वामी विवेकानंद से मिले तो उनकी बातों से बहुत प्रभावित हुए और उन्हें अपने साथ खेतड़ी चलने का निमंत्रण दे दिया। इसके बाद दोनों की दोस्ती के किस्से सभी जानते हैं, लेकिन स्वामी विवेकानंद ने महाराज अजीत सिंह से दोस्ती दोस्ती में जो ज्ञान की बातें की वो आज भी प्रासंगिक हैं।
अजीत सिंह के नाम 8 पत्रों में क्या लिखा ?
स्वामी विवेकानंद ने राजस्थान के नाम करीब 125 पत्र लिखे, जिनमें करीब 8 पत्र उनके परम मित्र खेतड़ी नरेश महाराज अजीत सिंह के बारे में थे। ये पत्र आज भी वेल्लूर मठ में सुरक्षित रखे हुए हैं। इन पत्रों में यूं तो स्वामी जी ने कई बातें लिखीं, उनकी हरेक बात आत्मसात करने लायक है। मगर उनमें से कुछ बातें ऐसी हैं जो आज हमें जरूर पढ़नी चाहिए।
‘विवेकानंद कहते थे कि हमें विदेश यात्रा करनी चाहिए, हमें यह जानना चाहिए कि दूसरे देशों में किस प्रकार की सामाजिक व्यवस्था चल रही है।’
‘प्रेम को सर्वोपरि बताते हुए लिखा कि जीवन में केवल एक तत्व है जो किसी भी कीमत पर प्राप्त करने योग्य है और वह है प्रेम। अनंत और अथाह प्रेम, गगन की तरह विस्मृत है और समुद्र की तरह गहरा। यही एक जीवन की महान उपलब्धि है, जो यह प्राप्त कर लेता है वह भाग्यशाली है।’
‘प्रकृति ने मानव का निर्माण एक शाकाहारी जीव के रूप में किया है’
‘अपने आप पर विश्वास करें और दुनिया आपके चरणों में होगी’
‘अपने जीवन में जोखिमों से न घबराएं। यदि आप जीतते हैं, तो आप नेतृत्व कर सकते हैं, यदि आप हार जाते हैं, तो आप मार्गदर्शन कर सकते हैं।