अयोध्या Ayodhya में राममंदिर के बाद अब एक और मंदिर की जमीन का मामला सामने आया है। ये मामला है मथुरा की श्रीकृष्ण जन्मभूमि Shri Krishna Janmabhoomi का। करीब 13.37 एकड़ जमीन के मालिकाना हक को लेकर मथुरा कोर्ट में सिविल सूट दायर किया है। जिसमें जमीन को लेकर किए गए 1968 के समझौते को गलत बताया गया है। आखिर 52 साल बाद ये मुद्दा क्यों उठा? क्या है इसके पीछे की वजह, चलिए जानते हैं।
क्या है 1968 समझौता?
सन् 1968 में श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान और शाही ईदगाह मस्जिद के बीच जमीन को लेकर एक समझौता हुआ था। इस समझौते में तय हुआ कि जितनी जमीन में मस्जिद बनी हुई वह यथाबत रहेगी, लेकिन जिस जमीन पर ये मस्जिद स्थित है वह जमीन श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट के नाम पर है।
अब समस्या यहां?
अब ये पूरा मामला मथुरा सिविल कोर्ट में पहुंच गया है। सुप्रीम कोर्ट के वकील विष्णु शंकर जैन के साथ भगवान श्रीकृष्ण सखा रंजना अग्निहोत्री ने कोर्ट में यह सिविल सूट दायर किया है। इसमें जमीन को लेकर हुए 1968 के समझौते को पूरी तरह से गलत बताते हुए कृष्ण जन्मभूमि की 13.37 एकड़ जमीन पर मंदिर का स्वामित्व मांगा है। साथ ही इस शाही ईदगाह मस्जिद को भी हटाने की मांग की गई है। मिली जानकारी के अनुसार अब 30 सिंतबर को इस याचिका पर विचार किया जाएगा। यानि इस मामले में सुनवाई होगी या नहीं, इस बात का पता अब 30 सितंबर को ही चल पाएगा।
यूं समझें इस पूरे मामले को :
इतिहास की मानें तो वर्ष 1618 में राजा वीर सिंह ने इस जमीन पर कटरा केशव देव मंदिर का निर्माण कराया था। बताया जाता है कि उस समय इस मंदिर को बनाने में करीब 33 लाख रुपए की लागत आई थी। मगर ठीक 52 साल बाद 1670 में औरंगजेब ने मंदिर को आंशिक नुकसान पहुंचाते हुए पास में ही एक मस्जिद का निर्माण करवा दिया। जब 1770 में मुगल और मराठाओं के बीच युद्ध हुआ तो इसमें मराठाओं की जीत हुई थी और उन्होंने आंशिक क्षतिग्रस्त कटरा देव मंदिर का जीर्णोद्धार करवाते हुए यहां से मस्जिद को हटवा दिया। उसके बाद जब अंग्रेज आए तो ये जमीन उनके अंडर में चली गई।
उसके बाद वाराणसी के राजा पटनीमल ने 1815 में 13.37 एकड़ जमीन को अंग्रेजों से नीलामी में खरीद लिया। आगे चलकर 21 फरवरी, 1951 को श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट बना और राज परिवार ने इस जमीन को ट्रस्ट के लिए सौंप दिया। 7 साल बाद 1958 में श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ नाम की संस्था बनाई गई। इसके 10 साल बाद इसी सेवा संस्थान ने शाही ईदगाह मस्जिद प्रबंध समिति के बीच जमीन को लेकर समझौता किया था।