— मां कहती थी कि जब भी दाएं हाथ से दो तो बाएं हाथ को पता न चले.
— कोरोना संकट के इस दौर में 45 हजार लोगों तक पहुंचा रहे खाना.
— 12000 हजार से भी ज्यादा लोगों को उनके घर पहुंचा चुके हैं.
— सोनू सूद बने देश के रियल हीरो, बाकी सब अभिनेता बनकर रह गए.
— लोग कर रहे पद्मभूषण से सम्मानित की मांग.
देश में कोरोना महामारी से जूझ रहे राज्यों में महाराष्ट्र का नाम सबसे आगे है। यहां संक्रमण की रफ्तार न्यूयॉर्क से भी आगे निकलती जा रही है। लोगों के हालात बेहद चिंताजनक होते जा रहे हैं। हॉस्पिटल्स में डॉक्टरों की कमी हो गई है। मरीजों को लाने के लिए ऐंबुलेंस कम पड़ रही हैं। आप इसी बात से अंदाजा लगा सकते हैं कि हालात क्या होंगे। ऐसे समय में मजबूर मजदूर लोगों की मदद के लिए बॉलीवुड के मशहूर एक्टर सोनू सूद उम्मीद की किरण बनकर सामने आए हैं।
असल मायनों में वह उन लोगों के लिए किसी भगवान से कम नहीं हैं। सोनू सूद की ओर से उठाए गए इस कदम के लिए पूरा देश उनको सलाम कर रहा है। लोग सोशल मीडिया पर सोनू सूद की तारीफ करते थक नहीं रहे। वह कह रहे हैं कि वास्तव में सोनू सूद ही देश के रियल हीरो हैं, बाकी सब तो अभिनेता हैं।
ये किया सोनू ने, पढ़ें उनकी जुबानी..
सोनू सूद से जब एक चैनल की एंकर ने इस पहले के बारे में पूछा तो सोनू ने कहा कि जब उन्होंने देश के मजदूर भाईयों को सड़कों पर सैकड़ों किलोमीटर पैदल चलने की खबरें देखी और सोशल मीडिया पर विडियोज देखे तो मन व्यथित हो गया। साथ ही उन्हें खाने के लिए जिस प्रकार संघर्ष करते देखा तो उनसे रहा नहीं गया। वह घर से बाहर निकले और अपने साथियों के साथ उन्होंने एक टीम बनाई। धीरे-धीरे चेन बनती गई और करीब 45 हजार लोगों तक वह रोजाना खाना पहुंचाने में सफल हो पाए।
इसके बाद जब वह लोगों से मिलते तो उनके अंदर अपने घर पहुंचने एवं परिवार के पास जाने का दर्द उन्हें दिखाई देता। एक दिन जब छोटे-छोटे बच्चों के साथ कुछ लोग पैदल ही अपने घरों को जा रहे थे तो उन्होंने उनसे पैदल जाने से मना किया लेकिन उन्होंने कहा कि पैदल नहीं चले तो हम कभी घर नहीं पहुंच पाएंगे। कोई हमें नहीं पहुंचा पाएगा। इतने दिन हो गए इंतजार करते हुए। सोनू ने उन्होंने कैसे भी समझा कर रोका और उनके रहने का इंतजाम किया। उन्होंने सरकार से बात की। उनके राज्य के अधिकारियों से संपर्क किया और बस की व्यवस्था कर उन्हें उनके राज्य के लिए रवाना किया।
सोनू ने बताया कि इसके बाद उनके दिमाग में ये बात थी कि ऐसे बहुत से लोग हैं जो घर जाना चाहते हैं लेकिन जा नहीं पा रहे। उन्होंने और बसों का इंतजाम किया और लोगों को घर पहुंचाने का काम भी शुरू कर दिया। उन्होंने बताया कि वह अब तक 12000 से भी ज्यादा लोगों को उनके घर पहुंचा चुके हैं। और सिलसिला तब तक जारी रहेगा जब तक आखिरी व्यक्ति अपने घर तक नहीं पहुंच जाता।
खुद करते हैं मॉनिटरिंग :
सोनू सूद ने अपने मोबाइल नंबर, इंस्टाग्राम और ट्विटर आदि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को सहायता केंद्र बनाया हुआ है। वहीं उन्होंने एक फ्री नंबर 18001213711 भी लोगों को दिया हुआ है जहां वह कॉल कर अपनी समस्या अथवा लोकेशन बता सकते हैं। इतना ही नहीं वह रात के 4 बजे भी कोई मैसेज आता है तो उसको चैक करते हैं और उसका रिप्लाई कर उसके खाने और जाने का बंदोबस्त सुनिश्चित करते हैं। किसी जरूरतमंद का मैसेज मिस न हो जाए इसके लिए वह कई बार रात को सो भी नहीं पाते क्योंकि हजारों की संख्या में मिले मैसेज और ईमेल्स को चैक करने में वक्त लग जाता है।
बिना प्रमोशन के किया काम :
सोनू ने बताया दूसरों की मदद करने की सीख उन्हें उनकी मां से मिली। वह एक प्रोफेसर थीं। वह कहती थीं कि जब भी आप किसी की व्यक्ति की मदद करो तो दाएं हाथ से जो दिया है उसके बारे में अपने बाएं हाथ को भी पता नहीं चलना चाहिए। सोनू ने कहा कि यह काम करना मेरा धर्म है। इसलिए वह ये काम कर रहे हैं। इस काम को प्रमोट करना उनका मकसद नहीं बल्कि ज्यादा से ज्यादा लोगों की मदद करना उनका ध्येय है। उन्होंने कहा कि आज तक उन्होंने हरी झंडी दिखाने के लिए किसी मीडिया को नहीं बुलाया, और न ही यह बताने किसी मीडिया डिबेट में गया।
मां से मिली सीख :
दूसरों की मदद करने की सीख उन्हें अपनी मां से मिली। वह खुद एक इंजीनियरिंग के स्टूडेंट रह चुके हैं तो उन्होंने भी यह दौर काफी नजदीक से देखा है। जब लोगों के सामने इस तरह की परिस्थिति होती है तो उन्हें कैसा महसूस होता है। उन्होंने कहा कि मां हमेशा कहती थी कि यदि आप सक्षम हैं तो जरूरतमंद की मदद अवश्य करें। उन्हीं की प्रेरणा से ये काम कर रहा हूं। हालांकि आज वो इस दुनिया में नहीं हैं। लेकिन जहां भी होंगे वो जरूर देख रहे होंगे।