जहां पूरी दुनिया इस समय कोरोना से बचने के साथ ही उसके कारगर इलाज के बारे में चिंतित है। वहीं दुनियाभर के वैज्ञानिक एवं डॉक्टर्स इसकी वैक्सीन एवं इलाज के नए-नए तरीकों का इस्तेमाल करने में लगे हुए हैं। वाशिंगटन (Washington) से आई एक खबर के मुताबिक ऐसा ही एक नया प्रयोग अमेरिका (America) के ह्यूस्टन शहर के एक अस्पताल से सामने आया है। ह्यूस्टन (Houston) में स्थित मेथोडिस्ट अस्पताल (Methodist hospital) ने कोरोना के इलाज के लिए 102 साल पुराने तरीके को प्रायोगिक तौर पर आजमाने का काम किया है। इसी के साथ यह देश-दुनिया का पहला अस्पताल भी बन गया है जिसने इस तरह का अनूठा प्रयोग कोरोना के इलाज में किया है।
क्या है ये ब्लड़ थैरेपी :
अस्पताल ने कोरोना से ठीक हो चुके एक मरीज का रक्त इस बीमारी से पीड़ित दूसरे मरीज को चढ़ाया गया। आपको बता दें कि एक कोरोना मरीज जो कि ठीक होने के बाद करीब 2 सप्ताह से भी ज्यादा समय तक अच्छी सेहत में रहा, उसने अपनी ‘ब्लड़ प्लाज्मा’ अस्पताल को डोनेट की है। यह ब्लड़ प्लाज्मा ‘कोनवालेस्सेंट सीरम थेरेपी’ (Convalescent serum therapy) के लिए दिया है।
बताया जाता है कि इलाज का यह तरीका सन 1918 में ‘स्पैनिश फ्लू’ महामारी के समय काम प्रयोग में लिया गया था। जिसे ह्यूस्टन के इस अस्पताल ने एक बार फिर से दोहराया है। मेथोडिस्ट रिसर्च इंस्टिट्यूट के डॉ. एरिक सलाजार (Dr Eric Salazar) ने कहा है कि यह तरीका कोरोना पीड़ितों के लिए कारगर सिद्ध हो सकता है।