ये बात सच है कि डिफेंस के क्षेत्र में खुद को मजबूत करने लिहाज से फ्रांस हो चाहे अमेरिका, भारत सभी के साथ एक रिलेशन बढ़ा रहा है। लेकिन इसका रूस के साथ संबंधों पर किसी तरह का कोई असर नहीं पड़ना चाहिए। क्योंकि रूस एकमात्र ऐसा देश है जो शुरुआत से लेकर आज तक भारत का सबसे बड़ा डिफेंस ही नहीं बल्कि अब तो ट्रेड पार्टनर भी बन गया है। वहीं अमेरिका की बात करें तो वह भारत के साथ किए गए कई समझौतों में अभी तक एक भी पैसे का निवेश नहीं कर सका है।
ये बात भी किसी से छुपी हुई नहीं है कि भारत और रूस के बीच पॉलिसीज को लेकर हमेशा से ही एक क्लैरिटी रही है। यही कारण है कि अमेरिका के साथ भारत के बढ़ते संबंधों के बाद भी दोनों देशों के बीच में किसी प्रकार का कोई मतभेद देखने को नहीं मिला है। आगे भी उम्मीद है कि भारत रूस के बीच इसी तरह दोस्ती बनी रहेगी। आपको बता दें कि नए साल की शुभकामना हो या फिर कोई अन्य अवसर हो, पीएम मोदी की लिस्ट में पुतिन का नाम सबसे आगे रहता है।
ये फर्क है अमेरिका और रूस में :
जब से ट्रंप अमेरिका के राष्ट्रपति बने हैं तब से उनकी नीतियों पर भरोसा करना थोड़ा मुश्किल हुआ है। इसका अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि कश्मीर को लेकर अमेरिका का रुख कभी भी स्पष्ट नहीं रहा है। उसने कभी भी इस बारे में खुलकर बात नहीं की है। जबकि रूस की नीतियों में इस तरह के मामलों में पूरी तरह से क्लैरिटी रही है। रूस डे वन से कश्मीर को भारत का हिस्सा बताता रहा है। यही नहीं बड़े मंचों पर शामिल करने के लिए भी रूस भारत की खुलकर तरफदारी करता रहा है।