देश की एक सीमेंट निर्माता कपंनी ने अपने व्यापारियों को लुभाने के लिए सरकार की ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ की तर्ज पर एक स्कीम शुरू की है। लेकिन जिन्हें असल में जरूरत थी ऐसे लोगों को कंपनी ने इसमें शामिल ही नहीं किया। इस स्कीम के अंतर्गत कंपनी के खुदरा विक्रेता के घर पर लड़की का जन्म होने पर लड़की के नाम का खाता खोल उसमें 51 हजार रुपए की राशि जमा की जाएगी। साथ ही अपने किसी भी खुदरा व्यापारी की बेटी की शादी होने पर 1 लाख 1 हजार रुपए की राशि भी दी जाएगी।
कंपनी को चाहिए कि इस तरह की योजना का लाभ सीमेंट कंपनी या गोदाम में काम करने वाले उन कामगारों को भी मिले जो रात—दिन सीमेंट के बीच काम करते हुए कई प्रकार की बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं।
कंपनी को मिलेगा फायदा :
वंडर सीमेंट की ओर से शुरू की गई यह पहल अच्छी है, वहीं इस योजना के कई मायने हैं। इससे सीधे व्यापारियों को कमीशन में बढ़ोतरी किए बिना कंपनी की सेल में वृद्धि करना तो है ही, साथ ही इस सहानुभूति के चलते व्यापारियों को अपने साथ जोड़े रखना भी है। कंपनी ने इसे दो योजनाओं के माध्यम से शुरू किया है। इसमें पहली योजना को ‘स्पर्श लक्ष्मी’ का नाम दिया गया है जिसके अंतर्गत 51 हजार रुपए की राशि जमा की जाएगी। जबकि दूसरी योजना ‘स्पर्श कन्यादान’ है जिसके अंतर्गत शादी होने पर 1 लाख 1 हजार रुपए की राशि प्रदान की जाएगी।
सीमेंट के बीच में रहते हैं। सांस में और आंखों में तकलीफ सबसे ज्यादा होती है। काम करते समय वह उड़ता रहता है। हालांकि कपड़ा बांधकर रखते हैं लेकिन फिर भी आंखों पर पट्टी तो नहीं बांध सकते, इसलिए कहीं न कहीं से सीमेंट हमारे शरीर के अंदर चला ही जाता है। जो काफी नुकसान दायक है। यदि कंपनी हमारे बच्चों के लिए भी कुछ योजना लाए तो हमें भी फायदा मिल सकेगा।
— रामनारायण, मजदूर
इस तरह की योजनाएं एक तरह से छलावा ही दिखाई देती हैं क्योंकि असल में जिन व्यक्तियों को इनका लाभ मिलना चाहिए वो कहीं न कहीं वंचित रह जाते हैं या फिर योजनाओं में शामिल ही नहीं किए जाते। मुझे भी खुशी होगी यदि कंपनी जरूरतमंदों के लिए भी कुछ फैसला करती है तो।
— ध्रुव यादव, युवा उद्यमी