दिल्ली के जेएनयू कैंपस में हुई घटना को लेकर सभी पार्टियां अपने-अपने समर्थन और सफाईयां पेश करने में लगी हुईं हैं। आपको बता दें कि कुछ समय पूर्व जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के दो गुटों में आपसी विवाद हुआ था। इस विवाद ने बीते रविवार की रात को एक हिंसक झड़प का रूप दे डाला और देखते ही देखते कुछ ही समय के अंतराल में करीब 40 लोग हॉस्पिटलाइज हो गए। दरअसल हुआ यूं कि रविवार की रात को कुछ नकाबपोश यूनिवर्सिटी परिसर में घुसते हैं। हॉस्टल में मौजूद छात्रों के साथ डंडे एवं सरियों से हमला होता है।
गौर करने वाली बात है कि एक तरफ जहां यूनिवर्सिटी के भीतर मौजूद छात्रों को चोटें आईं हैं वहीं बाहर से आए हुए लोगों को भी थाने में दर्ज शिकायत के अनुसार चोटें आने की बात कही गई है। सवाल ये है कि बाहर से जो लोग आए थे वो डंडे-सरिया साथ लेकर आए थे मगर अंदर जो छात्र मौजूद थे उन्होंने हमला किन चीजों से किया। क्योंकि पढ़ाई करने वाले छात्रों के पास ऐसा कोई सामान या वस्तु नहीं होती है जिससे किसी पर भी गंभीर हमला किया जा सके।
हालांकि जो भी हुआ दोनों तरफ से गलत है। एक तरफ से यदि एक्शन हुआ तो उसका ठीक वैसे ही रिएक्शन देना भी उतना ही गलत माना जाता है। पूरे मामले में पुलिस की कार्यप्रणाली पर भी सवालिया निशान खड़े हो रहे हैं। कहीं न कहीं इसे पॉलिटिकल रूप देने की अब कोशिशें शुरू हो चुकी हैं। जहां एक तरफ लेफ्ट के नेता छात्रों का समर्थन कर रहे हैं तो वहीं एबीवीपी का समर्थन करने वाले नेताओं की भी कमी नहीं है।
दरअसल पूरे मामले को देखा जाए तो यदि पुलिस चाहती तो समय रहते इसे कंट्रोल किया जा सकता था। क्योंकि घटनास्थल से महज कुछ ही दूरी पर पुलिस के जवान तैनात थे मगर उन्होंने इसे रोकने की शायद कोशिश ही नहीं की। हालांकि इस घटना के घटित हो जाने के बाद कई बड़े नेताओं ने इसकी निंदा भी की है।
‘पूर्व मंत्री पी. चिदंबरम ने कहा है कि यह घटना इस बात का सबूत है कि हम तेजी से अराजकता की ओर बढ़ रहे हैं।’
‘वहीं महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने तो इस घटना की तुलना आतंकवादी हमले से कर दी।’
‘एस. जयशंकर और केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस स्थिति को भयावह बताते हुए घटना की निंदा की है।’