Kisan Andolan: किसान आंदोलन को लेकर राजनीतिक पार्टियां भी अपना उल्लू सीधा करने में कोई कसर छोड़ती दिखाई नहीं दे रही हैं। बात चाहे दिल्ली की सरकार की हो या फिर राजस्थान सरकार की। रविवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने तीनों कृषि कानूनों को लेकर केंद्र सरकार के समक्ष खुली बहस की चुनौती दी है। केजरीवाल ने कहा कि केंद्र सरकार का कोई भी मंत्री उनके किसान नेताओं के साथ आकर बहस कर ले। इन कृषि कानूनों की सारी हकीकत सामने आ जाएगी।
मौका था रविवार को सिंघु बॉर्डर के पास गुरू गोविंद सिंह के चार बेटों और माता गुजरी की शहादत कार्यक्रम का। गुरू तेग बहादुर स्मारक परिसर में पंजाबी अकादमी की ओर से आयोजित कार्यक्रम में केजरीवाल केंद्र सरकार पर जमकर बरसे। केजरीवाल ने साफ कहा कि ये कानून किसानों की जमीन को छीनकर पूंजीपतियों को देने की कोशिश है, लेकिन किसानों की लड़ाई अब आर-पार की हो चुकी है।
दिल्ली के किसानों की मदद करें :
केजरीवाल ने कहा कि किसान अपनी खेती बचाने के लिए कड़ाके की ठंड में बैठने को मजबूर है। वहीं किसानों को लेकर कुछ लोगों का कहना है कि दिल्ली के बुराड़ी में धरने पर बैठे किसान सर्दी में कई तरह की परेशानियों से जूझ रहे हैं। सीएम वहां जाकर किसानों की सुध नहीं ले रहे।
राजस्थान में बिजली से परेशान :
इधर राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत लगातार केंद्र पर निशाना साध रहे हैं, लेकिन उनके प्रदेश में किसान कड़कती ठंड में रात के समय खेतों में पानी देने को मजबूर हैं। किसानों का आरोप है कि सरकार दिन में बिजली नहीं देती, इसलिए मजबूरन रात को फसलों में पानी देना पड़ता है। किसान के हितैषी बनने से पहले सीएम अपने किसानों को दिए कर्जा मुक्ति के वादे को भी याद कर लें।